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आज शनि प्रदोष का व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व

shani pradosh vrat 2023 
 

आज (Shani Pradosh 2023) शनि प्रदोष व्रत है। फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी 4 मार्च 2023 को मनाई जा रही है। यह दिन भगवान शिव का माना गया है, क्योंकि प्रदोष भगवान शिव का दिन होता है। वर्षभर में हर महीने में 2 बार यह व्रत पड़ता है, एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में प्रदोष का व्रत आता है। यह व्रत द्वादशी, त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। 

 

अगर किसी भी जातक को भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करना हो तो उसे प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से शिव प्रसन्न होते हैं तथा व्रती को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति करवाने के साथ-साथ पुत्र प्राप्ति का वर भी देते हैं। इसके साथ ही अगर किसी खास दिन यह व्रत आता है तो उस दिन से संबंधित देवता का पूजन करना अतिलाभदायी माना गया है।

अत: इस दिन कोई भी जातक पूरी श्रद्धा व मन से शिवजी के साथ ही शनि देव की उपासना करें तो उसके सभी कष्‍ट और परेशानियां निश्चित ही दूर होते हैं तथा शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव भी कम हो जाता है, इसका अनुभव जातक स्वयं लेकर फिर दूसरे किसी अन्य पीड़ित के कष्ट को दूर कर सकता है। 

 

शनि प्रदोष वाले व्रत में प्रदोष काल में आरती एवं पूजा होती है। संध्या के समय जब सूर्य अस्त हो रहा होता है एवं रात्रि का आगमन हो रहा होता है उस प्रहार को प्रदोष काल कहा जाता है।

प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच की जाती है। अत: त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिव जी का पूजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिवलिंग पर अवतरित होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है। 

 

इसके साथ ही शनि प्रदोष होने के कारण शनि देव का पूजन करना अवश्य ही लाभदायी रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शनिदेव को मनाने के लिए यह दिन अतिमहत्वपूर्ण है, अत: इस दिन शनिदेव का पूजन-आराधना करने से शनि की शांति होती है, अत: इसमें शनि प्रदोष के दिन का अधिक महत्व है।

इस दिन ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करते हुए शिवजी पर जल अर्पित करना चाहिए। तथा ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप भी करना उत्तम रहता है। 


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