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Rukmini Ashtami : प्रतिवर्ष पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रुक्मिणी अष्टमी पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में इसी दिन विदर्भ नरेश भीष्मक के यहां उनकी पुत्री के रूप में देवी रुक्मिणी जी ने जन्म लिया था। इसी कारण इस तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के नाम से जाना जाता है।
Highlights
- कब है रुक्मिणी अष्टमी?
- रुक्मिणी अष्टमी का महत्व जानें।
- रुक्मिणी अष्टमी पर पूजन का समय क्या हैं?
हिन्दू धर्म में इस दिन का बड़ा ही महत्व है तथा भगवान श्री कृष्ण की मुख्य पत्नी के रूप में देवी रुक्मिणी को विशेष स्थान प्राप्त है। अत: उन्हें लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन कृष्ण-रुक्मिणी का पूजन करने से धन-वैभव, ऐश्वर्य, अपार सुख-सपत्ति तथा संतान की प्राप्ति होती है।
वर्ष 2024 में रुक्मिणी अष्टमी का पर्व इस बार 23 दिसंबर, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। कृष्ण भक्त इस दिन व्रत-उपवास रखते हैं तथा मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सूर्यास्त के समय पूजन करते हैं।
आइए यहां जानते हैं रुक्मिणी अष्टमी व्रत के बारे में…
पौष कृष्ण अष्टमी का प्रारंभ- दिसंबर 22, 2024, रविवार को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से।
अष्टमी तिथि की समाप्ति- दिसंबर 23, 2024 सोमवार को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर।
रुक्मिणी अष्टमी पूजन का शुभ समय :
अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:00 से 12:41 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:27 मिनट से 05:55 मिनट तक।
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