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सफला एकादशी व्रत रखने से मिलेगी सफलता, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

Saphala Ekadashi 2023 : पौष माह के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत रखकर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से जीवन में सफलता मिलती है। हर कार्य में जातक सफल होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह व्रत 7 जनवरी 2024 रविवार के दिन रखा जाएगा। इसके बाद 26 दिसंबर 2024 को यह एकादशी रहेगी। आओ जानते हैं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के साथ ही पारण का समय।

 

एकादशी तिथि प्रारम्भ- 07 जनवरी 2024 को 12:41 एएम से।

एकादशी तिथि समाप्त- 08 जनवरी 2024 को 12:46 एएम तक।

पारण का समय : 08 जनवरी 2024 को सुबह 07:15 से 09:20 के बीच।

 

सफला एकादशी पूजा का मुहूर्त:- Saphala Ekadashi Puja Muhurat

ब्रह्म मुहूर्त : प्रात: 05:26 से सुबह 06:21 तक।

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:06 से 12:48 तक।

अमृत काल : दोपहर 01:04 से दोपहर 02:43 तक।

गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:37 से शाम 06:04 तक।

सफला एकादशी पूजा की विधि:- Saphala Ekadashi Puja Vidhi

एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सिर्फ दिन के वक्त सात्विक आहार करना चाहिए।

संध्याकाल में दातुन करके पवित्र होना चाहिए।

रात्रि के समय भोजन नहीं करना चाहिए।

भगवान के स्वरूप का स्मरण करते हुए सोना चाहिए।

सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन लें। 

सबसे पहले श्री नारायण की पूजा के लिए ऋतु के अनुकूल फल, नारियल, नीबू, नैवेद्य आदि 16 वस्तुओं का संग्रह करें।

इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी की दीपक जलाएं। 

उन्हें तुलसी दल भी अर्पित करने के बाद आरती करें। 

आप व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान इसका संकल्प ले लें। 

भगवान विष्णु को चरणामृत का भोग लगाएं, इसमें तुलसी का एक पत्ता जरूर डालें। 

इस सामग्री से भगवान श्रीकृष्‍ण, विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा जरूर करें। 

रात्रि के समय श्रीहरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करें।

आपको बता दें कि एकादशी के दिन चावल खाना माना होता है। इसलिए इस दिन अपने घर में न खुद चावल खाएं ना ही घर के किसी सदस्य को खाने दें।

इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ, तीर्थ, दान, तप तथा और कोई दूसरा व्रत नहीं है। 

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने से पहले पारण कर लें।

 

सफला एकादशी मंत्र- Saphala Ekadashi Mantra

1. ॐ नमो नारायणाय 

2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः 

3. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

4. ॐ कृष्णाय नम: