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इंदौर की रंग पंचमी गेर का रंगारंग इतिहास, परंपरा और इंदौरियों का उत्साह

Ger Rangpanchami of Indore : होलिका दहन के बाद धुलेंडी और उसके बाद रंगपंचमी पर इंदौर में गेर निकालने की परंपरा है। यह परंपरा वर्षों पुरानी है। दूर दूर से लोग इस गेर को देखने और इसमें शामिल होने के लिए लोग आते हैं। जिस तरह ब्रज की लट्ठमार होली पसंद है उसी तरह इंदौर सहित संपूर्ण निमाण और मालवा की गेर प्रसिद्ध है। आओ जानते हैं इसका इतिहास।

 

क्या होती है गेर : गेर एक प्रकार का जुलूस होता है जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोग एक साथ निकलते हैं और होली खेलते हैं। मालवा और निमाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत गेर निकाले जाने का इतिहास रहा है। हालांकि इंदौर में कई संस्थाएं गेर का आयोजित करती हैं और सभी गेरें राजबाड़ा क्षेत्र में एकात्रित होती हैं।

 

इंदौर की गेर का इतिहास : स्थानीय लोगों का मानना है कि इंदौर में गेर निकालने की परंपरा होलकर राजवंश के लोगों ने प्रारंभ की थी। होलकर राजवंश के लोग आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे और एक जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में भ्रमण करके लोगों के साथ होली खेलते थे। 

 

राजवंश का शासन खत्म होने के बाद भी यह परंपरा कायम रही। अब नेता लोग, समीतियां, और संस्थाएं गेर निकालती हैं। तब नगर निगम, सत्तापक्ष तथा विपक्ष के नेता लोग चल समारोह निकालकर होली के रंग में चार चांद लगा देते हैं। खासकर इंदौर की गेर तो अब विश्व प्रसिद्ध हो चली है। यहां सभी लोग राजवाड़ा पर एकत्रित होकर बड़े पैमाने पर चल समारोह निकालते हैं। 

 

यह संस्थाएं निकालती हैं गेर : नगर निगम इंदौर, संगम कार्नर, मॉरल क्लब, रंगपंचमी पर टोरी कार्नर महोत्सव समिति, राधाकृष्ण फाग यात्रा, रसिया कार्नर, श्री कृष्ण फाग यात्रा, संस्था संस्कार, माधव फाग यात्रा, बाणेश्वर समिति आदि।

 

यह रहेगा गेर का मुख्य मार्ग : गेर निकालने का परंपरागत मुख्य मार्ग गौराकुंड चौराहे से राजवाड़ा तक रहता है। इसके अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा भी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रंगारंग गेर निकाली जाती है जिनका रास्ता उनके क्षेत्र से राजबाड़ा तक का रहता है। 

इंदौर की गेर की खासियत-

– इंदौर में कई रंगपंचमी समितियां हैं जो गेर निकालती है। 

 

– गेर शहर के अलग-अलग हिस्सों से निकाली जाती है जो सभी राजवाड़ा में एकत्रित होकर रंगोत्सव मनाते हैं। 

 

– जगह-जगह चल समारोह (जुलूस) निकले जाते हैं। इसमें शामिल लोग एक-दूसरे को रंगने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाते हैं। 

 

– इस गोर में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। जिसमें किसी भेद के बगैर पूरा शहर शामिल होता है।

 

– गेर में हाथी, घोड़ों और बग्घियों के साथ आदिवासी नर्तकों की टोली दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहती है। 

 

– यहां की गेरों की खूबी यह होती है कि इसमें टैंकरों में रंग भरा होता है, जिसे मोटर पंपों यानी मिसाइल के जरिए भीड़ पर फेंका जाता है। जमीन से लेकर आसमान तक रंग ही रंग नजर आते हैं। गुलाल भी कुछ इसी तरह उड़ाया जाता है कि कई मंजिल ऊपर खड़े लोग भी इससे बच नहीं पाते हैं।

 

– बैंड-बाजों की धुन पर नाचते हुरियारों पर बड़े-बड़े टैंकरों से रंगीन पानी बरसाया जाता है। इस दौरान हुड़दंग भी बहुत होती है।