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इस मंदिर में स्वयं समुद्र करता है भोलेनाथ का जलाभिषेक, क्या है निष्कलंक महादेव मंदिर के 5 शिवलिंगों का रहस्य

Nishkalank Mahadev Temple: गुजरात के भावनगर जिले में कोलियाक तट पर स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर एक रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर अरब सागर के मध्य में स्थित है और दिन में दो बार ज्वार के समय पूरी तरह से समुद्र में डूब जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि रोज दोपहर एक बजे से रात 10 बजे भक्तों को शिवलिंग का दर्शन करने के लिए समुद्र स्वयं रास्ता देता है, इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन नहीं कर सकते। इस मंदिर में 5 शिवलिंग मौजूद है जिनके सामने नंदी जी की मूर्ति भी मौजूद है। इन शिवलिंगों को स्वयंभु माना जाता है यानि कि ये शिवलिंग खुद ही प्रकट हुए थे। यह मंदिर समुद्री तट से 1.5 किलोमीटर दूर अरब महासागर में मौजूद है और भारी ज्वार के दौरान पूरा मंदिर समुद्र में डूब जाता है और मंदिर की ध्वजा ही दिखाई देती है। भक्त ज्वार कम होने के बाद मंदिर के दर्शन करने जाते है।
 
महाभारत काल से जुड़ा है निष्कलंक महादेव मंदिर का इतिहास
मान्यता है निष्कलंक महादेव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान कृष्ण की सलाह पर, पांडवों ने एक काले ध्वज और एक काली गाय का पीछा किया। जब वे कोलियाक तट पर पहुंचे, तो ध्वज और गाय दोनों सफेद हो गए। यहीं पर पांडवों ने भगवान शिव की तपस्या की और भगवान शिव ने उन्हें 5 शिवलिंगों के रूप में दर्शन दिए।

 
ज्वार के समय भी नहीं डूबता निष्कलंक महादेव मंदिर का ध्वज 
निष्कलंक महादेव मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। यह मंदिर इस तरह से बनाया गया है कि समुद्र की तेज लहरों का भी इस पर कोई असर नहीं होता है। मंदिर के चारों ओर एक चबूतरा बना हुआ है, जो ज्वार के समय मंदिर को डूबने से बचाता है। मंदिर के शीर्ष पर एक ध्वज स्थापित है, जो ज्वार के समय भी दिखाई देता है।
 
निष्कलंक महादेव मंदिर का महत्व
निष्कलंक महादेव मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक विशेष स्थान रखता है। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि अगर किसी प्रियजन की चिता की राख शिवलिंग पर लगाकार जल में प्रवाहित कर दें तो उसको मोक्ष मिल जाता है।

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निष्कलंक महादेव मंदिर के दर्शन का समय
निष्कलंक महादेव मंदिर के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय ज्वार उतरने के बाद का होता है। मंदिर के दर्शन का समय स्थानीय अधिकारियों द्वारा निर्धारित किया जाता है, इसलिए यात्रा से पहले समय की जांच करना सुनिश्चित करें।

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निष्कलंक महादेव मंदिर कैसे पहुंचे
निष्कलंक महादेव मंदिर भावनगर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। आप भावनगर से टैक्सी या बस द्वारा कोलियाक तट तक पहुंच सकते हैं।
 
निष्कलंक महादेव मंदिर के पास अन्य आकर्षण
निष्कलंक महादेव मंदिर के अलावा, आप कोलियाक तट पर अन्य दर्शनीय स्थलों का भी भ्रमण कर सकते हैं। इनमें कोलियाक बीच, मांडवी बीच और पिरम बेट शामिल हैं।


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