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Easy Karwa Chauth Puja Vidhi 2024 : हिन्दू धर्म में करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ व्रत रखा जाता है। अपने पति की लंबी उम्र तथा अखंड सुहाग की कामना से महिलाएं यह व्रत करती है। यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है, उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद रात्रि में जब तक चंद्रोदय नहीं हो जाता, तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। करवा चौथ की पूजा का मुख्य उद्देश्य देवी पार्वती (चौथ माता/ देवी गौरा), भगवान शिव, भगवान कार्तिकेय और भगवान श्री गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करना है।
इस बार वर्ष 2024 में करवा चौथ का पावन पर्व दिन रविवार, 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। आइए यहां जानते हैं करवा चौथ व्रत-उपवास में कैसे करें पूजन…
करवा चौथ पूजा विधि :
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करवा चौथ पर पूजन हेतु यह सामग्री एकत्रित कर लें। कुमकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
• करवा चौथ व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व ही उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनें तथा श्रृंगार करके पूजन की तैयारी कर लें।
• तत्पश्चात प्रातः पूजा के समय व्रत का संकल्प लें तथा मंत्र ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’ बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
• या करवा चौथ मंत्र : ‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से श्री गणेश जी का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
• शाम के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्री गणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें।
• मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें।
• इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
• भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें।
• एक लोटा, एक वस्त्र एवं एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
• सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें।
• तत्पश्चात चांद निकलने के बाद एक छलनी में अपने पति का चेहरा देखें।
• चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिठाई मिष्ठान खाकर व्रत खोलें।
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