Shripuram Mahalakshmi mandir
Shripuram Mahalakshmi Temple: धनतेरस का पर्व हिन्दू धर्म में धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जो धन की देवी मानी जाती हैं। इस लेख में, हम दक्षिण भारत के प्रसिद्ध श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर के बारे में जानेंगे, जिसे “दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर” भी कहा जाता है। आइए जानते हैं, क्या हैं इस मंदिर की खासियतें और इसका महत्व।
श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर का परिचय
श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में स्थित है। यह मंदिर 100 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है और इसका निर्माण पूरी तरह से सोने की परतों से ढका हुआ है। इसे ‘दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी वास्तुकला और सुंदरता के कारण यह दुनिया के सबसे चमकते मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण श्री सक्ती अम्मा द्वारा वर्ष 2007 में कराया गया था, जो एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु हैं।
क्यों कहा जाता है दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर?
सुनहरी वास्तुकला: श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी सुनहरी वास्तुकला है। मंदिर को 1.5 टन शुद्ध सोने से बनाया गया है, और इसकी हर परत पर सोने की सुंदर कलाकारी की गई है। इस प्रकार की सुनहरी सजावट के कारण ही इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।
आध्यात्मिक महत्व: यह मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। धनतेरस जैसे विशेष अवसर पर लोग यहां आकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें आशीर्वाद मिले।
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विश्व कीर्तिमान: श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर को उसकी भव्यता और सोने के उपयोग के लिए विश्व भर में जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सोने से बना हुआ धार्मिक स्थल है, जो इसे और भी खास बनाता है।
कब जाएं श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर?
धनतेरस और दीपावली का समय इस मंदिर की यात्रा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस समय मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है, और पूजा-अर्चना का विशेष आयोजन किया जाता है। धनतेरस पर देवी लक्ष्मी की पूजा से घर में समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद माना जाता है।
धनतेरस और दिवाली पर श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर के दर्शन का महत्व
धनतेरस 2024 पर श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर का दर्शन करना एक विशेष अनुभव हो सकता है। यह न केवल देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है, बल्कि दक्षिण भारत की अनोखी वास्तुकला और भव्यता को भी करीब से देखने का एक मौका है। श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर अपने सोने के अद्वितीय उपयोग और धार्मिक महत्व के कारण धनतेरस जैसे शुभ अवसरों पर विशेष रूप से पूजनीय बन जाता है।