पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगों का उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक चलता है। इसलिए इसे रंग पंचमी कहा जाता है। इस दिन दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती है और होली की तरह देव होली के दिन भी लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं। रंगपंचमी के दिन कौनसे देवी और देवाता की पूजा करते हैं?
देवताओं की होली : जिस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दिवाली मानी गई है उसी प्रकार रंग पंचमी को देवताओं की होली माना गया है। यह त्योहार देवताओं को समर्पित है क्योंकि हिरण्याकश्यप का वध होने के बाद सभी देवी और देवताओं ने रंगपंचमी के दिन रंगोत्सव मनाया था। यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। मान्यता है कि कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन पूजा आराधना से ठीक हो जाते हैं।
किस देवता को कौनसा रंग करें अर्पित : इस दिन भगवान नृसिंह के साथ ही माता लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। धन लाभ पाने और गृह कलेश दूर करने के लिए भी यह रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। इस दिन श्रीहरि विष्णु, श्री कृष्ण, प्रभु श्री राम को पीला रंग अर्पित कर सकते हैं। मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें। मां बगलामुखी को पीले रंग का अबीर अर्पित करें। सूर्यदेव को लाल रंग का गुलाल अर्पित करें। शनि देव को नीला रंग अर्पित करें।
श्रीकृष्ण एवं राधा : इस दिन श्री राधारानी और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं। कहते हैं कि इसी दिन श्रीकृष्ण और राधा ने फाग उत्सव मनाया था।