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विनायक चतुर्थी पर करें माता दुर्गा के साथ गणेश जी की पूजा, नोट कर लें पूजा मुहूर्त और उपाय

Vinayaki Chaturthi: वर्ष 2023 में विनायकी चतुर्थी यानी आश्‍विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत 18 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिमाह आने वाली कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश का व्रत किया जाता है। विनायक चतुर्थी व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित है।

मान्यतानुसार इस दिन व्रत रखने के श्री गणेश प्रसन्न होकर वरदान देते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि के दिनों में चतुर्थी व्रत आने से इसका महत्व अधिक बढ़ गया है। इस दिन जहां माता दुर्गा के चौथी दिव्य शक्ति की पूजा होगी, वहीं बुधवार के दिन चतुर्थी व्रत पड़ने के कारण श्री गणेश का पूजन करना अत्यंत फलदायी रहेगा। 

 

आइए यहां जानते हैं पूजा विधि, मुहूर्त और उपाय-

 

पूजन विधि-Puja Vidhi

 

– विनायकी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।

 

– अपनी शक्तिनुसार उपवास करें।

 

– पूजन के समय अपने सामर्थ्यनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें। 

 

– संकल्प के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन करें।

 

– फिर अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं। 

 

– ‘ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 

 

– अब श्री गणेश को मोदक का भोग लगाएं। 

 

– इस दिन मध्याह्न में गणपति पूजा करें। 

 

– पूजन के समय 21 मोदक अर्पण करते हुए निम्न श्लोक पढ़ते हुए प्रार्थना करें- ‘विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।’

 

– पूजन के बाद आरती करें। 

 

– गणेश चतुर्थी कथा का पाठ करें। 

 

– मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नम:।’, ‘श्री गणेशाय नम:।’, वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा। आदि मंत्रों का जाप करें। 

 

इसके अलावा गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, चालीसा आदि का पाठ करें। 

 

चतुर्थी के उपाय- 

 

– किसी भी चतुर्थी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करने से भगवान श्री गणेश प्रसन्न होते हैं। साथ ही गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से दुख, दरिद्रता दूर हो जाती है।

 

– भगवान श्री गणेश को सिंदूर अत्यंत प्रिय है। अत: चतुर्थी पर श्री गणेश को पूजन के समय सिंदूर का तिलक करने के बाद स्वयं भी सिंदूर का तिलक करके फिर गणेश जी का पूजन करें। मान्यतानुसार सिंदूर सुख-सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, यह गणेश जी को प्रिय होने के कारण आपका सुखमय जीवन बनेगा। 

 

– जीवन में चल रही सभी परेशानियों से मुक्ति के लिए श्री गणेश को दूर्वा अर्पित करते समय ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। इस उपाय से जहां हर समस्या का हल होगा, वहीं सफलता, समृद्धि, ऐश्वर्य का घर आगमन होगा।

 

– इस दिन श्री गणेश जी को गेंदे के पुष्प, मोदक तथा गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलने लगेगी।

 

– जीवन में यदि कोई विशिष्‍ट उपलब्धि की चाह हैं तो गणेश पूजन के समय लाल वस्त्र तथा लाल चंदन का प्रयोग करें। लाभ होगा। 

 

– साथ ही यदि मन में शांति की कमी महसूस हो रही है तो सफेद अथवा पीले रंग के वस्त्र धारण करके पूजन करें, इस उपाय से भी लाभ मिलेगा।

 

18 अक्टूबर 2023, बुधवार को विनायक चतुर्थी : पूजन के शुभ मुहूर्त 

 

योग- सौभाग्य 10:24 पी एम तक। 

आज कोई अभिजित मुहूर्त नहीं है।

आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 17 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार को 04:56 पी एम से,

चतुर्थी का समापन- 18 अक्टूबर 2023, बुधवार को 04:42 पी एम पर। 

 

चतुर्थी पूजन का शुभ समय- 10:00 ए एम से 12:28 पी एम

02 घंटे 28 मिनट तक। 

 

नवरात्रि पर माता कूष्मांडा के पूजन के शुभ मुहूर्त : 

 

ब्रह्म मुहूर्त-03.31 ए एम से 04.18 ए एम

प्रातः सन्ध्या- 03.54 ए एम से 05.04 ए एम

विजय मुहूर्त-01.17 पी एम से 02.07 पी एम

गोधूलि मुहूर्त-05.24 पी एम से 05.47 पी एम 

सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.34 पी एम

अमृत काल- 19 अक्टूबर 03.44 ए एम, से 05.21 ए एम तक। 

निशिता मुहूर्त-10.51 पी एम से 11.37 पी एम

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