Karva Chauth 2023: प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी के दिन करवा चौथ का निर्जल व्रत रखने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस बार 01 नवंबर 2023 को करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है। सवाल यह है कि सबसे पहले यह व्रत किस महिला ने रखा था जिसके बाद यह परंपरा प्रारंभ हुई? आओ जानते हैं।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत के संबंध में 4 कहानियां मिलती है:-
1. देवताओं की पत्नी ने रखा सबसे पहले व्रत : देवता और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था तब ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं की पत्नियों को अपने पति के विजयी होने के लिए चतुर्थी का व्रत रखने का सुझाव दिया था जिसके बाद इंद्रदेव की पत्नी शची ने सभी देवताओं की पत्नियों के साथ यह व्रत रखा।
2. माता पार्वती ने रखा था यह व्रत : पौराणिक कथाओं के अनुसा माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए यह व्रत रखा था। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
3. द्रौपदी ने रखा था यह व्रत : भगवान श्रीकृष्ण की सलाह से महाभारत के युद्ध में पांडवों की रक्षा के लिए द्रौपदी ने सबसे पहले रखा था करवा चौथ का व्रत।
4. करवा चौथ की कथा : यह भी कहा जाता है कि करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री के नाम पर ही करवा चौथ का नाम करवा चौथ पड़ा है। कहते हैं कि करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी हुई आई और आकर उसने मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया। मगरमच्छ को बांधकर वो यमराज के यहां पहुंच गई और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगरमच्छ को पैर पकड़ने के अपराध में आप नरक में ले जाओ।
यमराज बोले, ‘लेकिन अभी मगरमच्छ की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, ‘अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।’ सुनकर यमराज डर गए और उन्होंने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु रहने का आशीर्वाद दे दिया। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे।