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07 मार्च से होलाष्टक, 14 मार्च से मलमास, जानें शुभ कार्य क्यों रहेंगे वर्जित

Holashtak 2025 In Hindi : हिन्दू परंपरा में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। हमारे सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ‘होलाष्टक’ और ‘मलमास’ ऐसी ही अवधि होती है जिसमें समस्त मांगलिक कार्यों का निषेध होता है।ALSO READ: Holika Dahan 2025: होली पर चंद्र ग्रहण और भद्रा का साया, जानिए कब होगा होलिका दहन 2025 में?

 

‘होलाष्टक’: होलिका दहन से पूर्व के आठ दिनों की अवधि को लोकमान्यता अनुसार ‘होलाष्टक’ कहा जाता है, इस अवधि में समस्त शुभ एवं मांगलिक कार्यों का निषेध होता है। वर्ष 2025 संवत 2081 में ‘होलाष्टक’ का प्रारंभ फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि दिनांक 07 मार्च 2025 से प्रारंभ होगा एवं इसकी समाप्ति फाल्गुन पूर्णिमा दिनांक 13 मार्च 2025 को होगी।ALSO READ: रंग गुलाल और लट्ठमार, बृज में पूरे 40 दिन चलता है फाग का उत्सव, जानिए बृज की होली का इतिहास

 

कब तक रहेगा ‘मलमास’ (मीन संक्रांति): वर्ष 2025 संवत 2081 फाल्गुन पूर्णिमा, दिनांक 14 मार्च 2025 से ‘मलमास’ प्रारंभ होगा जो संवत 2082 वैशाख कृष्ण प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2025 पर्यंत मान्य होगा। मीन संक्रांति (मलमास) प्रभावी होने के कारण इस अवधि में समस्त शुभकार्यों का निषेध रहेगा।ALSO READ: अखाड़ों का महाकुंभ से कूच, अब बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होगी साधु-संतों की होली

 

क्या होता है ‘मलमास’: जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इसे क्रमश: धनु संक्रांति व मीन संक्रांति कहा जाता है। सूर्य किसी भी राशि में लगभग 1 माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही ‘मलमास’ या ‘खरमास’ कहा जाता है। ‘मलमास’ में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रतउद्यापन आदि वर्जित रहते हैं।

 

-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया

प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

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