Adhik Maas Ekadashi 2023 : इस वर्ष 18 जुलाई 2023 से अधिक मास का शुभारंभ हो चुका है और इस माह 29 जुलाई, दिन शनिवार को अधिक मास/ पुरुषोत्तम मास/ मलमास की पहली एकादशी ‘पद्मिनी एकादशी’ पड़ रही है। वैसे वर्षभर में आने वाली 24 एकादशियों की तरह ही इस माह में भी 2 एकादशी पड़ती है, यानी कि अधिक मास मिलाकर इस बार कुल 26 एकादशियों का संयोग बना है।
आइए यहां जानते हैं श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पद्मिनी एकादशी के बारे में-
कौनसी है अधिक मास की एकादशी : पद्मिनी एकादशी के संबंध में जब धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा- हे जनार्दन! अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी कथा क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए। तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा- अधिक मास या मलमास को जोड़कर वर्ष में कुल 26 एकादशियां होती हैं।
अधिक मास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती हैं। मलमास में अनेक पुण्यों को देने वाली इस एकादशी का नाम पद्मिनी है। मान्यतानुसार अधिक मास के श्रावण शुक्ल की एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को धन, सुख-वैभव और कीर्ति मिलती है तथा मृत्यु पश्चात बैकुंठ प्राप्त होता है।
कब है एकादशी : 29 जुलाई 2023, शनिवार को पद्मिनी एकादशी
श्रावण शुक्ल एकादशी का प्रारंभ- शुक्रवार, 28 जुलाई को 02.51 पी एम से,
एकादशी की समाप्ति- शनिवार, 29 जुलाई को 01:05 पी एम पर।
भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की जो कथा बताई थी। वह यहां प्रस्तुत हैं : Padmini Ekadashi Katha
क्या है कथा : इस कथा के अनुसार पूर्वकाल में त्रेयायुग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य/कीतृवीर्य नाम का राजा महिष्मती पुरी में राज्य करता था। उस राजा की 1,000 परम प्रिय स्त्रियां थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो कि उनके राज्यभार को संभाल सके।
देवता, पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकित्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए, लेकिन सब असफल रहे। तब राजा ने तपस्या करने का निश्चय किया।
महाराज के साथ उनकी परम प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या थीं, राजा के साथ वन में जाने को तैयार हो गई। दोनों अपने मंत्री को राज्यभार सौंप कर राजसी वेष त्याग कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए। राजा ने उस पर्वत पर 10 हजार वर्ष तक तप किया, परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई।
तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा- 12 मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है, जो 32 मास पश्चात आता है। उसमें द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत के करने से भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही पुत्र देंगे।
रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को निराहार रहकर रात्रि जागरण करती। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।
इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तवीर्य उत्पन्न हुए। जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था। अत: जो मनुष्यों मलमास के शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया करते हैं और कथा को पढ़ते या सुनते हैं, वे भी यश के भागी होकर विष्णुलोक को प्राप्त होते हैं। ऐसी अधिक मास की इस एकादशी की महिमा है।
कैसे करें पूजन :
– अधिक/पुरुषोत्तम मास की एकादशी के लिए दशमी के दिन व्रत का आरंभ करके जौ-चावल आदि का भोजन करें तथा नमक न खाएं।
– एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत्त होकर दंतधावन करें और जल के 12 कुल्ले करके शुद्ध हो जाएं।
– सूर्य उदय होने के पूर्व उत्तम तीर्थ में स्नान करने जाएं।
– इसमें गोबर, मिट्टी, तिल तथा कुशा व आंवले के चूर्ण से विधिपूर्वक स्नान करें।
– श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करें।
– आरती के पश्चात श्री विष्णु के मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।
– इस दिन एकादशी की कथा अवश्य पढ़ना चाहिए।
– ईश्वर स्मरण करते हुए समय बिताना चाहिए।
– एकादशी के दिन मसूर की दाल, चना, शहद, शाक और लहसुन, प्याज के सेवन से बचना चाहिए।
– इस दिन दूसरे किसी अन्य का दिया हुआ भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
– शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन कांसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।
– इस दिन मीठे में केवल फलाहार का सेवन ही करना चाहिए।
– भूमि पर सोएं और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
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