Mahashivratri Festival Essay
HIGHLIGHTS
• महाशिवरात्रि का पर्व कब है।
• महाशिवरात्रि की कथा क्या है।
• महाशिवरात्रि व्रत किस देवता को समर्पित है।
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Mahashivratri | प्रस्तावना : प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक बड़ा धार्मिक पर्व है, जिसे देशभर में एक बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसे हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता भोलेनाथ, महादेव या शिव जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं।
महत्व : वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है इसलिए इसे ‘महाशिवरात्रि’ कहा जाता है। वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।
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मान्यताएं : महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ीं कुछ मान्यताएं प्रचलित भी हैं, जिसमें ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रह्मा के रुद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था। वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रह्मांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था।
इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान शिव जी ने कैलाश पर्वत पर माता पार्वती से विवाह किया था। इसीलिए इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर पूरे दिन भगवान शिव का ही ध्यान करते हैं।
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव सभी जीव-जंतुओं के स्वामी एवं अधिनायक हैं। ये सभी जीव-जंतु, कीट-पतंग भगवान शिव की इच्छा से ही सब प्रकार के कार्य तथा व्यवहार किया करते हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में 6 मास कैलाश पर्वत पर रहकर तपस्या में लीन रहते हैं।
उनके साथ ही सभी कीड़े-मकौड़े भी अपने बिलों में बंद हो जाते हैं। उसके बाद 6 मास तक कैलाश पर्वत से उतरकर धरती पर श्मशान घाट में निवास किया करते हैं। इस दिन लाल, नारंगी, हरा, पीला, सफेद, गुलाबी आदि रंगों के वस्त्र पहनने का बहुत महत्व है। लेकिन इस दिन काला रंग धारण करने की मनाही है।
पूजन : महाशिवरात्रि के दिन कई प्रकार की भिन्न-भिन्न पवित्र सामग्रियों से शिव जी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। उन्हें गंगाजल, बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित करते हुए उनकी आराधना की जाती है। शिव जी को भांग बेहद प्रिय होने के कारण कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है। इस दिन शिव मंत्रों तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व है।
उपसंहार : भोलेनाथ को जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवता के रूप में भी माना जाता है, अत: महाशिवरात्रि का पावन पर्व भारतभर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है तथा पूरे मन से उनका पूजन-अर्चन किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति दया भाव दिखाते हुए शिव जी की पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। मान्यतानुसार महाशिवरात्रि व्रत रखने से नर्क तथा सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मशुद्धि होती है।
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