sheetala ashtami 2024
HIGHLIGHTS
• शीतला अष्टमी पूजा विधि क्या है।
• शीतला अष्टमी पूजन के शुभ मुहूर्त जानिए।
• बच्चों की सलामती के लिए मनाया जाता है यह पर्व।
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Basoda pujan : वर्ष 2024 में जहां शनिवार को रंग पंचमी का पर्व मनाया गया, वहीं चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला माता शीतला का खास पर्व इस बार कैलेंडर के मतांतर के चलते एक दिन आगे-पीछे मनाए जाने की संभावना है।
इस बार शीतला सप्तमी पर्व पर पूजन जहां 31 मार्च या 01 अप्रैल 2024 को किया जाएगा, वहीं शीतला अष्टमी तिथि पर माता शीतला का पूजन 01 और 02 अप्रैल 2024 को किया जाएगा। इस दिन घर की महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए श्रद्धा एवं पूर्ण विश्वास के साथ माता का पूजन करके परिवार की सुख-समृद्धि तथा बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना से यह व्रत करती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि पर शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में शीतला सप्तमी की तरह ही अष्टमी के दिन भी एक दिन पहले ही विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर माता शीतला को भोग लगाने हेतु तैयार किए जाते हैं तथा अष्टमी पूजन के पश्चात इन्हीं ठंडे/ बासी भोजन को करने की ही मान्यता है।
इस दिन गरम भोजन ना ही खाया जाता हैं और ना ही देवी शीतला माता को समर्पित किया जाता हैं। जिस घर में शीतला सप्तमी या अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां सुख, शांति हमेशा बनी रहती है तथा रोगों से निजात भी मिलती है।
रोग दूर करने का मंत्र- ‘वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।’
अर्थात्- मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता/करती हूं।
आइए जानते हैं शीतला अष्टमी पूजन विधि और मुहूर्त के बारे में-
शीतला अष्टमी चौघड़िया मुहूर्त 2024 : Sheetala Ashtami 2024 Date n Muhurat
शीतला अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 01 अप्रैल 2024, सोमवार को 12.39 पी एम से,
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन- 02 अप्रैल 2024, मंगलवार को 11.38 ए एम पर।
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त- 12.39 पी एम से 05.33 पी एम तक।
अवधि- 04 घंटे 53 मिनट्स
तिथि : सप्तमी- 12.39 पी एम तक तत्पश्चात अष्टमी,
दिन का चौघड़िया
अमृत- 05.33 ए एम से 07.03 ए एम
शुभ- 08.33 ए एम से 10.03 ए एम
चर- 01.03 पी एम से 02.33 पी एम
लाभ- 02.33 पी एम से 04.03 पी एम
अमृत- 04.03 पी एम से 05.33 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
चर- 05.33 पी एम से 07.03 पी एम
लाभ- 10.03 पी एम से 11.33 पी एम
शुभ- 01.03 ए एम से 02 अप्रैल को 02.33 ए एम,
अमृत- 02.33 ए एम से 02 अप्रैल को 04.03 ए एम
चर- 04.03 ए एम से 02 अप्रैल को 05.32 ए एम तक।
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 03.57 ए एम से 04.45 ए एम।
प्रातः सन्ध्या- 04.21 ए एम से 05.33 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.09 ए एम से 11.57 ए एम।
विजय मुहूर्त- 01.33 पी एम से 02.21 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.31 पी एम से 05.55 पी एम।
सायाह्न सन्ध्या- 05.33 पी एम से 06.45 पी एम
अमृत काल- 08.14 ए एम से 09.51 ए एम।
निशिता मुहूर्त- 11.09 पी एम से 11.57 पी एम
रवि योग- 05.33 ए एम से 02.42 पी एम।
पूजा विधि : puja vidh
– शीतला अष्टमी के दिन अलसुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।
– इस दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
– स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-
‘मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये’
– संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
– इस दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।
– पूजन का मंत्र- ‘हृं श्रीं शीतलायै नम:’ का निरंतर उच्चारण करें।
– माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें।
– इसके पश्चात ठंडे भोजन का भोग मां शीतला को अर्पित करें।
– तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।
– रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।
– शीतला माता की कथा पढ़ें तथा मंत्र- ‘ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:’ का जाप करें।
– जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं।
– पूजन के पश्चात थोड़ा जल घर लाकर हर हिस्से में छिड़कने से घर की शुद्धि होती है।
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