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विजयादशमी 2024: इन 5 कारणों से मनाया जाता है दशहरा का पर्व

Dussehra 2024

Vijayadashami 2024: प्रतिवर्ष आश्‍विन शुक्ल की दशमी के दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरा मनाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। कालांतर में इस पर्व को मनाने के तरीके बदलते रहे हैं। दशहरा का पर्व मनाने के 5 प्रमुख कारण हैं। इस बार दशहरा 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को मनाया जाएगा। दशहरे पर अबूझ मुहूर्त रहता है यानी पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है।

 

12 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा दशहरा 

इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का और श्रीराम ने रावण का किया था वध

दशहरे के पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा

 

12 अक्टूबर शनिवार दशहरा पर्व तिथि व मुहूर्त 2024:-

अभिजीत मुहूर्त में खरीदी: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।

विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजा: दोपहर 02:03 से 02:49 के बीच।

शमी पूजा मुहूर्त: दोपहर 01:17 से 03:35 के मध्य।

प्रदोष काल रावण दहन मुहूर्त :शाम 05:54 से 07:28 के बीच।

अमृत काल में रावण दहन मुहूर्त : शाम 06:28 से रात्रि 08:01 के बीच।

शुभ योग: अबूझ मुहूर्त योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग पूरे दिन।

 

1. माता ने किया थामहिषासुर का वध : इस दिन माता कात्यायनी दुर्गा ने देवताओं के अनुरोध पर महिषासुर का वध किया था तब इसी दिन विजय उत्सव मनाया गया था। इसी के कारण इसे विजया दशमी कहा जाने लगा।

 

2. श्रीराम ने किया था लंका प्रस्थान : वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्‍विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति की उपासना की थी। इसके बाद भगवान श्रीराम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे। यह भी कहा जाता है कि रावण वध के कारण दशहरा मनाया जाता है। श्रीराम ने रावण का वध करने के पूर्व नीलकंठ को देखा था। नीलकंठ को शिवजी का रूप माना जाता है। अत: दशहरे के दिन इसे देखना बहुत ही शुभ होता है।

 

3. पांडवों की शस्त्र पूजा : इसी दिन अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गाएं चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की थी। इसी दिन पांडवों को वनवास हुआ था और इसी दिन कौरवों ने पूर्ण विजय प्राप्त की थी।

 

4. सती का अग्निदाह : यह भी कहा जाता है कि इस दिन देवी सती अग्नि में समा गई थीं। 

 

5. वर्षा ऋ‍तु की समाप्ति का दिन : इस दिन से वर्षा ऋ‍तु की समाप्ति का काल प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन से चातुर्मास भी समाप्त की तैयारी भी की जाने लगती है। 

 

दशहरा पूजा का समय : दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक की होती है। दशहरे के दिन को अबूझ मुहूर्त कहते हैं क्योंकि यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है (साल का सबसे शुभ मुहूर्त- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा- आधा मुहूर्त)। यह अवधि किसी भी चीज की शुरूआत करने के लिए उत्तम मानी गई है।