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Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में नवपत्रिका और निशा पूजा का क्या है महत्व, जानिए पूजन का मुहूर्त

Kalratri

Saptami kalratri mata Puja 2024: नवपत्रिका पूजा दिवस को महा सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है। इसी दिन निशा पूजा भी होती है। सप्तमी की देवी मां कालरात्रि हैं। पूर्वोत्तर और बंगाल में सप्तमी का खास महत्व रहता है। इस दिन से ही दुर्गापूजा का महापर्व प्रारंभ होता है। यह पूजा खासकर असम, बंगाल और ओडिशा में होती है। नवपत्रिका यानी 9 पत्तों से माता दुर्गा की पूजा करने का खास महत्व होता है। नवपत्रिका को कलाबाऊ पूजा भी कहते हैं।

 

नवरात्रि की सप्तमी को निशा या महानिशा पूजा का महत्व

नवरात्रि में नवपत्रिका पूजा का मुहूर्त और विधि

क्या होती है नवपत्रिका और निशा पूजा, जानिए

 

नवपत्रिका के दिन सूर्योदय- प्रात: 05 बजकर 55 मिनट पर होगा।

सप्तमी तिथि प्रारम्भ- 09 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से।

सप्तमी तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।

कब रहेगी सप्तमी की पूजा: उदयातिथि के अनुसार 10 अक्टूबर को रहेगी।

 

निशा पूजा का निशिथ मुहूर्त :10 अक्टूबर को मध्यरा‍त्रि 11:43 से 12:33 के बीच।

 

10 अक्टूबर 2024 शारदीय नवरात्रि सातवें दिन की देवी कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त:-

प्रात: पूजा का मुहूर्त- प्रात: 04:40 से 06:19 के बीच।

दोपर की पूजा का मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:31 के बीच।

शाम की पूजा का मुहूर्त : शाम 05:56 से 07:11 के बीच।

नवपत्रिका पूजा क्या है?

नौ तरह के नए पत्तों को एकत्रित करके यह पूजा करते हैं। माता के नौ रूप है और नवरात्रि के नौ दिन होते हैं। इसीलिए अलग अलग पेड़ का हर पत्ता देवी के अलग-अलग नौ रूप हैं। ये नौ पत्ते हैं- केला, कच्वी, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्वा और जौ।ALSO READ: Durga ashtami 2024: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को लेकर कंफ्यूजन करें दूर, कब है महाष्टमी, जानिए

 

क्या होती है निशा पूजा : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार निशा का अर्थ होता है रात्रि काल। नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी के दिन को खास माना जाता है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ रात में होता है तो तब उस समय भी पूजा कर सकते हैं। हालांकि सप्तमी की रात को निशीथ काल में निशा पूजा की जाती है। सप्तमी के रात में ही अष्टमी निशा पूजा होती हैं। उसी दिन रात में संधी पूजा भी की जाती है। संधि पूजा का मतलब होता है जब सप्तमी समाप्त होगी तब।

 

नवपत्रिका पूजा विधि:

सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर महा स्नान किया जाता है।

इसके बाद सभी नौ पत्तों को एक साथ बांधकर उन्हें भी स्नान कराया जाता है।

महा स्नान के बाद पारंपरिक साड़ी यानी लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनते हैं।

इसी तरह की साड़ी से नवपत्रिका और पूजा स्थल को भी सजाया जाता है।

इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है।

षोडशोपचार यानी 16 प्रकार की सामग्री से पूजा करते हैं।

इसमें जल, फल, फूल, चंदन, कंकू, नैवेद्य, 16 श्रंगार आदि अर्पित करके मां दुर्गा का पूजन किया जाता है।

अंत में मां दुर्गा की महाआरती होती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है।

दुर्गा पूजा का सप्त दिवस देवी भोग एवं आरती के साथ सम्पन्न होता है।ALSO READ: Navratri Saptami devi maa Kalratri: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी की देवी कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, आरती, कथा और शुभ मुहूर्त