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diwali facts : प्राचीन ग्रंथों में दीपावली/ दीपोत्सव का वर्णन मिलता है तथा अनेक धर्मग्रंथ दीपावली का ऐतिहासिक महत्व हमें बतलाते हैं। दीपावली या दिवाली से जुड़े कुछ खास ऐसे रोचक तथ्य हैं, जिन्हें इतिहास के पन्नों में विशेष स्थान प्राप्त हैं। धर्म के दृष्टि से दीपावली त्योहार का ऐतिहासिक महत्व है। इसी कारण यह त्योहार किसी खास समूह का न होकर संपूर्ण राष्ट्र का हो गया है।
Highlights
दीपावली के इतिहास से जुड़ी बातें जानें।
भारत में दीपावली की परंपरा कैसे शुरू हुई।
दीपावली त्योहार की ऐतिहासिक बातें।
आइए जानते है दीपावली का अन्य धर्मों का दिवाली उत्सव और उससे जुड़े धार्मिक तथ्य…।
– सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दीपावली के दिन हुआ था। इसलिए दीप जलाकर खुशियां मनाई गईं।
– जब महाप्रतापी तथा दानवीर राजा बलि ने अपने बाहुबल से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली, तब बलि से भयभीत देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर प्रतापी राजा बलि से तीन पग पृथ्वी दान के रूप में मांगी। महाप्रतापी राजा बलि ने भगवान विष्णु की चालाकी को समझते हुए भी याचक को निराश नहीं किया और तीन पग पृथ्वी दान में दे दी। अत: मान्यतानुसार भगवान श्री विष्णु ने तीन पग में तीनों लोकों को नाप लिया। राजा बलि की दानशीलता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया, साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि उनकी याद में भू-लोकवासी प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाएंगे।
– त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब दशानन रावण को हराकर अयोध्या वापस लौटे, तब उनके आगमन पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया और खुशियां मनाई गईं।
– कार्तिक अमावस्या के दिन सिखों के छठे गुरु हर गोविंद सिंह जी बादशाह जहांगीर की कैद से मुक्त होकर अमृतसर वापस लौटे थे।
– बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के समर्थकों एवं अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में हजारों-लाखों दीप जलाकर दीपावली मनाई थी।
– भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
– मोहनजोदड़ो सभ्यता के प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की एक मूर्ति के अनुसार उस समय भी दीपावली मनाई जाती थी। उस मूर्ति में मातृ-देवी के दोनों ओर दीप जलते दिखाई देते हैं।
– ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में रचित कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार कार्तिक अमावस्या के अवसर पर मंदिरों और घाटों/ नदी के किनारे पर बड़े पैमाने पर दीप जलाए जाते थे।
– अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी दीपावली के ही दिन शुरू हुआ था।
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– जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने भी दीपावली के दिन ही बिहार के पावापुरी में अपना शरीर त्याग दिया। अत: इस दिन भगवान महावीर निर्वाणोत्सव के रूप में मनाया जाता है। साथ ही महावीर निर्वाण संवत् इसके दूसरे दिन से शुरू होता है। इसलिए अनेक प्रांतों में इसे वर्ष के आरंभ की शुरुआत मानते हैं।
– मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली को त्योहार के रूप में मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते थे।
– शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लाल किले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।
– महर्षि दयानंद ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की थी।
– दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में दौलतखाने के सामने 40 गज ऊंचे बांस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहांगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे।
– पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगा तट पर स्नान करते समय ‘ॐ’ कहते हुए समाधि ले ली।
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