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Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

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tulsi vivah : इस बार दिन मंगलवार, 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी पर्व मनाया जा रहा है। इस एकादशी पर तुलसी विवाह और विष्णु पूजन का विशेष महत्व माना गया है। आइए यहां जानते हैं देवउठनी एकादशी के दिन कैसे करें घर में तुलसी जी का विवाह। पढ़ें 25 काम की बातें-

Highlights 

एकादशी तुलसी विवाह कब है?

तुलसी विवाह 2024 में कब है?

तुलसी विवाह का पूजन कैसे करना चाहिए?

1. तुलसी विवाह या देवउठनी ग्यारस के दिन सायंकाल के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। 

 

2. तुलसी विवाह के शुभ अवसर पर घर के पूजा स्थल, तुलसी स्थल तथा मुख्य द्वार पर आकर्षक रंगोली बनाएं। 

 

3. तुलसी का पौधा एक पटिये या चौकी पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। 

 

4. चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर शालिग्राम को स्थापित करके उनका श्रृंगार करें। 

 

5. अष्टदल कमल पर कलश स्थापित करके उसमें जल भरकर स्वस्तिक बनाएं।

 

6. आम के 5 पत्ते कलश पर वृत्ताकार रखकर ऊपर नारियल दें।

 

7. तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं। 

 

8. तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं। 

 

9. गमले में सालिग्राम/ शालिग्राम जी रखें। 

 

10. इस दिन शालिग्राम जी पर अक्षत नहीं चढ़ाते हैं, पर तिल चढ़ाई जाती है। 

 

11. तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं। 

 

12. गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।

 

13. अब पूजन की सभी सामग्री अर्पित करें जैसे फूल, फल इत्यादि।

 

14. अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य बोलें। 

 

15. तुलसी विवाह के दौरान मंगल गीत भी गाएं। 

 

16. देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं। 

 

17. कर्पूर से आरती करें। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी) 

 

18. फिर प्रसाद चढ़ाएं। 

 

19. 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।

 

20. प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें। 

 

21. प्रसाद का वितरण करना ना भूलें।

 

22. पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें- ‘उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।’ इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है – हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।

 

23. इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है-

‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌।।’

‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:।।’

‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’

 

23. तुलसी नामाष्टक पढ़ें : 

 

वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।

 

24. मां तुलसी से उनकी तरह पवित्रता का वरदान मांगें।

 

25. ध्यान रखें कि तुलसी-शालिग्राम का विवाह प्रदोष काल में करें। शास्त्रानुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से 2 घड़ी यानि 48 मिनट तक रहता है। मतांतर से कुछ विद्वान इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मान्यता देते हैं। अत: इस समय में आप विधि-विधानपूर्वक माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न करें। 

 

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