अमावस्या और शनि जयंती पर सभी शनि भक्त उनकी चालीसा पढ़ते हैं परंतु कई लोग प्रतिदिन तो कई लोग शनिवार के दिन ही हनुमान चालीसा पढ़ते हैं। यदि आप भी शनि चालीसा पढ़ते हैं तो यह जानना जरूरी है कि कहीं आप पाठ करते वक्त गलतियां तो नहीं कर रहे हैं। आओ जानते हैं शनि चालीसा पढ़ने के खास नियम और गलतियां। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार अच्छे कर्म करते हुए शनि चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी कष्ट नहीं पाता।
शनि चालीसा का पाठ करते वक्त न करें ये गलतियां:-
1. पाठ करके वक्त किसी पर क्रोध न करें।
2. पाठ के 12 घंटे पहले पहले या 12 बाद में आप शराब पीते हैं तो यह आपके लिए नुकसान वाला रहेगा।
3. इसी तरह पाठ के पूर्व या बाद में तामसिक भोजन न करें।
3. यदि आप शनिदेव के भक्त हैं तो शनि के मंदे कार्य यानी जुआ-सट्टा खेलना, झूठ बोलना, ब्याज का धंधा करना, पराई महिला पर बुरी नजर रखना, गरीबों, दिव्यांगों और पशुओं को सताना, धर्म का अपमान करना ये कार्य करते हैं तो शनि महाराज की चालीसा पढ़ने का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
4. शनि चालीसा पढ़ते वक्त अशुद्ध उच्चारण नहीं करना चाहिए।
5. गंदे या अपवित्र स्थान पर शनि चालीसा पढ़ना अशुभ माना जाता है।
शनि चालीसा पढ़ने के नियम:-
1. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें, शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
2. शनिवार को विशेष रूप से पाठ करें, यह दिन शनि देव का होता है, इसलिए शनिवार को पढ़ने से विशेष लाभ होता है।
3. पाठ करते वक्त नीले या काले रंग के वस्त्र धारण करें यह रंग शनि देव को प्रिय है।
4. सरसों के तेल का दीपक जलाएं इसके बाद ही पाठ करें।
5. शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर ही ध्यान एकाग्र करके श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।
6. चालीसा के बाद शनि मंत्रों का जाप करें “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।
7. चालीसा पढ़ते समय मन को शांत रखें और किसी के प्रति द्वेष न रखें।
8. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, उड़द दाल, लोहे की वस्तुएं, काले कपड़े और सरसों के तेल का दान करें।
9. शनि चालीसा का पाठ सुबह, प्रदोष काल में या रात्रि काल में करते हैं। दोपहर में इसका पाठ नहीं करते हैं।