Akshaya Navami 2023: वर्ष 2023 में आंवला या अक्षय नवमी का पर्व 21 नवंबर, मंगलवार को मनाया जा रहा है। धार्मिक महत्व के अनुसार अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने विधान है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से अमृत प्राप्त होता है।
आइए यहां जानें आंवला वृक्ष पूजन की विधि, और शुभ समय के बारे में-
महत्व- धार्मिक मान्यता के अनुसार आंवला नवमी का त्योहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे अन्य नाम धात्री नवमी और कूष्मांड नवमी से भी जाना जाता है। आंवला नवमी के दिन ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था और स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था।
इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा का प्रारंभ भी होता है। मान्यता हैं कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देता है अर्थात् उसके शुभ फल में कभी कमी नहीं आती। पौराणिक शास्त्रों में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है, इस दिन आंवले के वृक्ष में भगवान श्रीहरि विष्णु तथा भगवान शिव जी का वास होता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन प्रातः उठकर आंवले के वृक्ष के नीचे साफ-सफाई करके कच्चे दूध, फूल एवं धूप-दीप से आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोज के पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्वयं भोजन करने तथा प्रसाद के रूप में भी आंवला खाने की मान्यता है। इस संबंध में यह भी मान्यता हैं कि यदि भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता आ गिरे तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि आने वाले साल में व्यक्ति की सेहत बहुत अच्छी रहेगी।
पूजा विधि-Puja Vidhi
– कार्तिक शुक्ल नवमी यानी आंवला नवमी के दिन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
– फिर आंवला वृक्ष के समीप जाएं।
– आंवला वृक्ष के आसपास की साफ-सफाई करें
– अब वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करके कच्चा दूध डालें।
– समस्त पूजन सामग्री से आंवला वृक्ष का पूजन करके उसके तने पर कच्चा सूत अथवा मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें।
या 108 परिक्रमा करें, मान्यतानुसार इस दिन कई स्थानों पर 108 परिक्रमा करने का भी प्रचलन है।
– अब कर्पूर अथवा घी का दीपक जलाकर आरती करें।
– आंवला नवमी कथा सुनें अथवा पढ़ें।
– आंवला नवमी के दिन मंत्र- ‘कृं कृष्णाय नमः’,
– ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः’
– ‘ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।’
– ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’
– इनमें से किसी भी मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
– आंवला वृक्ष पूजन के बाद जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे ही बैठकर भोजन ग्रहण करें।
आंवला नवमी 2023 के शुभ मुहूर्त-Amla Navami Muhurat
कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ- 20 नवंबर 2023, दिन सोमवार को 06.46 पी एम से शुरू,
नवमी तिथि की समाप्ति- 21 नवंबर 2023, मंगलवार को 04.39 पी एम पर।
मंगलवार, 21 नवंबर 2023 को अक्षय नवमी
आंवला नवमी पूजन का पूर्वाह्न समय- 04.57 ए एम से 11.15 ए एम तक।
अवधि- 06 घंटे 17 मिनट्स
21 नवंबर, 2023, मंगलवार : दिन का चौघड़िया
चर- 08.06 ए एम से 09.40 ए एम
लाभ- 09.40 ए एम से 11.15 ए एम
अमृत- 11.15 ए एम से 12.49 पी एम
शुभ- 02.24 पी एम से 03.58 पी एम तक।
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 06.58 पी एम से 08.24 पी एम,
शुभ- 09.49 पी एम से 11.15 पी एम,
अमृत- 11.15 पी एम से 22 नवंबर को 12.41 ए एम,
चर- 12.41 ए एम से 22 नवंबर को 02.06 ए एम तक।
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