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Dev Diwali 2024: देव दिवाली कब है, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि

Dev Diwali 2024: नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली जो 30 एवं 31 अक्टूबर को है। बड़ी दिवाली यानी लक्ष्मी पूजा का समय 31 अक्टूबर और 01 नवंबर को है। देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी। हालांकि कई लोग देव उठनी एकादशी को ही देव दिवाली समझकर पूजा आराधना करते हैं जबकि यह देव दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन रहती है। दरअसल, प्रबोधिनी एकादशी से आरम्भ होने वाले तुलसी-विवाह उत्सव का समापन भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2024 को प्रात: 06:19 बजे से।

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 16 नवम्बर 2024 को तड़के 02:58 बजे तक।

 

देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त:-

ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:58 से 05:51 के बीच।

प्रातः सन्ध्या: प्रात: 05:24 से 06:44 के बीच।

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:27 के बीच।

विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 के बीच।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 से 05:54 के बीच।

सायाह्न सन्ध्या: शाम 05:27 से 06:47 के बीच।

अमृत काल: 05:38 पी एम से 07:04 पी एम

देव दिवाली पूजा गोधूली या अमृत काल में कर सकते हैं।

इसी समय दीपदान में कर सकते हैं।

क्यों मनाते हैं देव दिवाली?

देव दिवाली को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध करके देवताओं को भय से मुक्ति कर पुन: स्वर्ग का राज्य सौंप दिया था। इसी की खुशी में देवता लोग गंगा और यमुना के तट पर एकत्रित होकर स्नान करते हैं और खुशी में दिवाली मनाते हैं। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।

 

देव दिवाली के दिन करते हैं दीपदान: दीपक का दान करना या दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना दीपदान कहलाता है। किसी दीपक को जलाकर देव स्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है। यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकाट करने का एक तरीका होता है।

 

कहां करते हैं दीपदान?

1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान। 

2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान।

3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के उपर) पर करते हैं दीपदान।