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Dev uthani ekadashi: देवउठनी एकादशी पर इस शुभ मंत्र से जागते हैं श्रीहरि विष्णु जी, जानें तुलसी विवाह के मंत्र

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Dev Uthani Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी/ के दिन यादि कार्तिक शुक्ल ग्यारस तिथि पर भगवान श्री विष्णु 4 महीने के पश्चात शयन निद्रा से जाग्रत होते हैं और इसी दिन तुलसी पूजन के साथ ही शालिग्राम-तुलसी विवाह करने की पुरानी परंपरा भी है। इस बार 12 नवंबर, दिन मंगलवार को देवउठनी ग्यारस का पावन पर्व मनाया जा रहा है।

इस दिन तुलसी पूजन में धूप, सिंदूर, चंदन, पुष्प, घी का दीया और नैवद्य अर्पित किया जाता हैं। पुराणों में कई मंत्र और श्लोक मिलते हैं, जिसे भगवान श्रीहरि के जागने या उन्हें उठाने के समय इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यदि आपके घर में मां तुलसी विराजमान हैं तो देवउठनी/ देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन उनके सामने ये आठ नाम- पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी आदि अवश्‍य ही बोलें।

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Highlights 

देवी तुलसी के मंत्र जानें।

देवउठनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप। 

इन मंत्रों से करें श्री विष्‍णु की आराधना।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्वयं श्रीहरि नारायण अपने मस्तक पर तुलसी को धारण करते हैं। और तुलसी मोक्षकारक मानी गई है, इसी कारण भगवान की आराधना, उपासना-पूजा एवं प्रसाद या भोग में तुलसी के पत्तों का होना अनिवार्य कहा गया है। इस दिन माता तुलसी और भगवान श्री विष्णु को जगाने हेतु कुछ खास मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। 

 

आइए यहां जानते हैं नारायण देव को जगाने का खास मंत्र एवं माता तुलसी के मंत्र- 

 

देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्णु जी को जगाने का शुभ मंत्र : 

 

दिव्य देव प्रबोधन मंत्र : 

 

ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय,

बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।

यानि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि से वंदनीय, हे जगन्निवास, देवताओं के स्वामी आप मंत्र के प्रभाव से सुखपूर्वक उठें।

 

देवोत्थान स्तुति मंत्र : 

 

‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌।।’

‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:।।’

‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’

अर्थात् इसका तात्पर्य यह है कि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु आप उठिए और मंगल कार्य की शुरुआत कीजिए। 

 

इस मंत्र से पुष्पांजलि अर्पित करें : 

 

‘यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन।

तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्तिदेवाः।।’

 

इस मंत्र से प्रार्थना करें : 

 

‘इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।

त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थ शेषशायिना।।’

इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।

न्यूनं सम्पूर्णतां यातु त्वत्प्रसादाज्जनार्दन।।’

 

तुलसी पूजन मंत्र : 

 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। 

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। 

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। 

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

 

तुलसी नामाष्टक मंत्र : 

 

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतनामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

 

तुलसी स्तुति मंत्र : 

 

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः 

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

 

तुलसी जी को जल देने का मंत्र : 

 

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।। 

 

तुलसी पत्ते तोड़ने के मंत्र : 

 

– ॐ सुभद्राय नमः

– ॐ सुप्रभाय नमः

मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी 

नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।

 

– ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।। 

 

इस तरह देवता को जगाने तथा तुलसी पूजन और विवाह से समस्त रोग, शोक, बीमारी, व्याधि आदि से छुटकारा मिलता है तथा घर में पवित्रता और समृद्धि आती है। साथ ही सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। 

 

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