Dol Gyaras 2023 : इस बार डोल ग्यारस 25 सितंबर 2023, दिन सोमवार को मनाई जा रही है। यह दिन भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है तथा इसे परिवर्तनी एकादशी के अलावा इसे जलझूलनी तथा पद्मा एकादशी भी कहते हैं।
कैलेंडर के मतांतर के चलते इस बार परिवर्तनी एकादशी 25 और 26 सितंबर 2023 को मनाई जाने की उम्मीद है। आपको बता दें कि इस बार डोल ग्यारस के दिन सुकर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि, द्विपुष्कर व रवि योग का संयोग बनने से इस तिथि का महत्व अधिक बढ़ गया है।
आइए जानते हैं महत्व और शुभ मुहूर्त और क्या करें…
महत्व : धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन किया गया था। इसीलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप बालमुकुंद को एक डोल में विराजमान करके उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसीलिए इसे डोल ग्यारस भी कहा जाने लगा।
डोल ग्यारस क्यों मनाते हैं: श्री कृष्ण जन्म के 16वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को ‘डोल ग्यारस’ के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। जलवा पूजन को कुआं पूजन भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बलि से उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था, उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा को राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहा जाता है।
क्या करें इस दिन: डोल ग्यारस के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को एक डोल में विराजमान कर उनको नगर भ्रमण कराया जाता है। इस अवसर पर कई शहरों में मेले, चल समारोह, अखाड़ों का प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के एक से बढ़कर एक नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं। सभी कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है।
कैसे मनाते हैं डोल ग्यारस : इस व्रत में धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजा करने की विधि-विधान है। सात कुंभ स्थापित किए जाते हैं। सातों कुंभों में सात प्रकार के अलग-अलग धान्य भरे जाते हैं। इन सात अनाजों में गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है।
एकादशी तिथि से पूर्व की तिथि अर्थात दशमी तिथि के दिन इनमें से किसी धान्य का सेवन नहीं करना चाहिए। कुंभ के ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रख पूजा की जाती है। इस व्रत को करने के बाद रात्रि में श्री विष्णु जी के पाठ का जागरण करना चाहिए यह व्रत दशमी तिथि से शुरू होकर, द्वादशी तिथि तक जाता है।
इसलिए इस व्रत की अवधि सामान्य व्रतों की तुलना में कुछ लंबी होती है। एकादशी तिथि के दिन पूरे दिन व्रत कर अगले दिन द्वादशी तिथि के प्रात:काल में अन्न से भरा घड़ा ब्राह्मण को दान में दिया जाता है।
डोल ग्यारस/ परिवर्तिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त 2023
एकादशी तिथि प्रारंभ- 24 सितंबर 2023 को 11.25 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 25 सितंबर 2023 को 08.30 पी एम बजे
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- 05.15 पी एम
पारण/ व्रत तोड़ने का समय- 26 सितंबर 2023 को 05.16 ए एम से 07.42 ए एम।
आज के योग-संयोग
सुकर्मा योग 25 सितंबर को दोपहर 03.23 से अगले दिन तक,
सर्वार्थ सिद्धि योग 25 सितंबर सुबह 11.55 से प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 06.11 तक
रवि योग सुबह 06.11 से सुबह 11.55 तक
द्विपुष्कर योग 26 सितंबर को सुबह 09.42 से देर रात 01.44 तक बना रहेगा।
25 सितंबर 2023, सोमवार : दिन का चौघड़िया
अमृत- 05.17 ए एम से 06.48 ए एम
शुभ- 08.19 ए एम से 09.50 ए एम
चर- 12.52 पी एम से 02.23 पी एम
लाभ- 02.23 पी एम से 03.54 पी एम
अमृत- 03.54 पी एम से 05.25 पी एम तक।
रात्रि का चौघड़िया
चर- 05.25 पी एम से 06.54 पी एम
लाभ- 09.52 पी एम से 11.21 पी एम
शुभ- 12.49 ए एम से 26 सितंबर को 02.18 ए एम,
अमृत- 02.18 ए एम से 26 सितंबर को 03.47 ए एम
चर- 03.47 ए एम से 26 सितंबर को 05.16 ए एम तक।
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