Ganga dussehra 2024: वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों ही त्योहार मां गंगा को समर्पित है। इस दिन माता गंगा की पूजा एवं आरती करना और गंगा स्नान करने का खास महत्व है। आओ जानते हैं कि क्या अंतर है गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा पर।
जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई थी वह दिन वैशाख शुक्ल सप्तमी है, जिसे गंगा जयंती या गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है जबकि जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ज्येष्ठ शुक्ल दशमी है, जो कि ‘गंगा दशहरा’ के नाम से जनमानस में बहुप्रचलित है।
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गंगा सप्तमी का महत्व- शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। गंगा सप्तमी गंगा मैया के पुनर्जन्म का दिन है इसलिए इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। मां गंगा का पूजन यदि विधि-विधान से किया जाए तो यह अमोघ फल प्राप्ति करने वाला माना गया है। इस दिन गंगा मंदिरों तथा अन्य मंदिरों एवं शिवालयों में भी विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है।
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गंगा दशहरा का महत्व- शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन अवसरों पर गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गंगाजल को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, जिसका उपयोग पूजा-पाठ में सबसे अधिक किया जाता है।
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