Holika dahan 2024 bhadra Kaal Date time
Holika Dahan Timings 2024: 24 मार्च 2024 रविवार रात्रि को होलिका दहन के दौरान भद्रा काल रहेगा इसी के साथ ही सूर्य राहु की युति के चलते ग्रहण यो और चंद्र केतु की युति के चलते बालारिष्ट योग भी रहेगा। होलिका दहन कब करना चाहिए और क्या है इसका शास्त्र सम्मत नियम? आओ जानते हैं होलिका दहन का सही मुहूर्त।
होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम- Scriptural rule of Holika Dahan:-
पहला नियम यह कहता है कि होलिका दहन के समय भद्राकाल यानी विष्टि काल नहीं होना चाहिए।
दूसरा नियम यह कहता है कि यदि भद्रा मृत्यु लोक की नहीं है तो होलिका दहन किया जा सकता है।
तीसरा नियम यह कहता है कि पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। यानी उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।
चौथा नियम यह कहता है कि भद्रा हो तो पूंछ काल में होलिका दहन किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिष गणणा इसकी इजाजद देती हो।
होली के दिन भद्रा काल समय- bhadra kaal time on Holika dahan day:-
भद्रा पूंछ- शाम 06:33 से रात्रि 07:53 तक।
भद्रा मुख- रात्रि 07:53 से रात्रि 10:06 तक।
होलिका दहन का समय- Holika Dahan Date time:
पहला समय- शाम 06:33 से रात्रि 07:53 के बीच।
दूसरा समय- 4 मार्च रात्रि 11:13 से 12:27 के बीच।
चूंकि होलिका दहन रात में होता है इसलिए 24 की रात को दहन और 25 को धुलण्डी यानी रंगवाली होली रहेगी।
Holika dahan 2024
होलिका दहन की पूरी पूजा विधि- Holika Dahan Puja vidhi:-
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें।
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
12. आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।
13. इसके बाद होलिका दहन होता है।