krishna janmashtami 2023: वर्ष 2023 में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 6 या 7 सितंबर को मनाया जा सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान श्री कृष्ण को मुरलीधर, कान्हा, श्री कृष्णा, गोपाल, घनश्याम, गोपी मनोहर, श्याम, गोविंद, मुरारी, बाल मुकुंद… आदि कई नामों से जाना और पुकारा जाता है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी की पूजा और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है।
आइए जानें कैसे करें जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा और किस मंत्र को जपें….
पूजन विधि : krishna janmashtami Worship
• जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर को साफ-स्वच्छ करे लें।
• अब चौकी या पटिया लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए।
• भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए।
• अब दीपक जलाएं और साथ ही धूप बत्ती भी जला लीजिए।
• भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि, ‘हे भगवान् कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए।
• श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं।
• फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
• अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए।
• भगवान कृष्ण को दीप दिखाएं।
• इसके बाद धूप दिखाएं।
• अष्टगंध, चंदन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं।
• माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए। साथ ही पीने के लिए गंगा जल रखें।
• अब श्री कृष्ण का इस प्रकार ध्यान कीजिए : – krishna Dhyan
– श्री कृष्ण बच्चे के रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं।
– उनके शरीर में अनंत ब्रह्मांड हैं और वे अंगूठा चूस रहे हैं।
– इसके साथ ही श्री कृष्ण के नाम का अर्थ सहित बार बार चिंतन कीजिए।
– कृष् का अर्थ है आकर्षित करना और ण का अर्थ है परमानंद या पूर्ण मोक्ष।
– इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है, वह जो परमानंद या पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है, वही कृष्ण है।
– मैं उन श्री कृष्ण को प्रणाम करता/करती हूं। वे मुझे अपने चरणों में अनन्य भक्ति प्रदान करें।
• विसर्जन के लिए हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें : हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए धन्यवाद।
• कृपया मेरी पूजा और जप ग्रहण कीजिए और पुनः अपने दिव्य धाम को पधारिए।
श्री कृष्ण के खास मंत्र : – krishna janmashtami Mantra
– ‘कृं कृष्णाय नमः’
– ‘ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा’
– ‘गोकुल नाथाय नमः’
– ‘गोवल्लभाय स्वाहा’
– ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’।
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