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Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण के जन्म के समय घटी थी ये खास 10 घटनाएं

Shri Krishna Janmashtami 2024:  भाद्रपद माह के कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 24 अगस्त 2024 सोमवार को उनका 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आओ जानते हैं उनके जन्म के समय घटी 10 घास घटनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी।ALSO READ: Janmashtami Decoration Ideas : जन्माष्टमी पर कैसे कैसे सजाएं झांकी

 

1. श्रीकृष्‍ण का जब जन्म हुआ उस वक्त 6 ग्रह उच्च के थे, भाद्रपद की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से जयंती नामक रोग बना था। उनका जन्म मध्यरात्रि में निशीथ काल में हुआ था। ज्योतिष मान्यता के अनुसार उनका जन्म 19 जुलाई 3228 ई.पू. हुआ था। एक शोधानुसार उनका जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था।

 

2. श्रीकृष्ण जन्म के समय भयंकर बारिश हो रही थी और यमुना नदी में तूफान था। कहते हैं कि ऐसी बारिश इससे पहले कभी नहीं हुई थी। भयानक रात्रि के प्रहर में बाढ़ जैसे हालात थे।

 

3. श्रीकृष्‍ण जन्म के समय श्री हरि विष्णु की आज्ञा से माता योगमाया प्रकट होकर श्रीहरि विष्णु की आज्ञा से देवकी और वसुदेव को कहती है कि कंस के आने के पहले तुम इस बालक को लेकर गोकुल चले जाओ। वसुदेव बालक को प्रणाम करते हैं और फिर योगमाया से कहते हैं कि परंतु देवी माता मैं जाऊंगा कैसे? मेरे हाथ में तो बेड़ियां पड़ी हैं और चारों और कंस के पहरेदार भी खड़े हैं। तब देवी माता कहती हैं कि तुम स्वतंत्र हो जाओगे। गोकुल जाकर तुम यशोदा के यहां इस बालक को रख आओ और वहां से अभी-अभी जन्मी बालिका को लेकर आ जाना। ALSO READ: krishna janmashtami 2024 Shubh muhurat: श्री कृष्‍ण जन्माष्टमी पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

 

4. योगमाया के प्रभाव से पहरेदारों को नींद आ जाती है, वसुदेवजी की बेड़ियां खुल जाती हैं और फिर वे बालक को उठाकर कारागार से बाहर निकल जाते हैं। बाहर आंधी और बारिश हो रही होती है। चलते-चलते वे यमुना नदी के पास पहुंच जाते हैं। तट पर उन्हें एक सुपड़ा पड़ा नजर आता है जिसमें बालक रूप श्रीकृष्ण को रखकर पैदल ही नदी पार करने लगते हैं। तेज बारिश और नदी की धार के बीच वे गले गले तक नदी में डूब जाते हैं तभी शेषनाग बालकृष्ण के सहयोग के लिए प्रकट हो जाते हैं।

 

5. माता यमुना भी प्रकट होकर बाल कृष्ण के चरण छुकर नीचे उतर जाती है और उनके लिए यमुना पार करने का मार्ग बना देती हैं।

 

6. वसुदेवजी रात्रि के अंधकार में बालकृष्ण को लेकर यशोदा मैया के कक्ष में पहुंच जाते हैं। द्वार अपने आप ही खुल जाते हैं। गहरी नींद में सोई यशोदा मैया के पास वह बालकृष्ण को सुलाकर वहां सोई हुई बालिका को ले जाते हैं। पुन: कारागार में जाकर वे बालिका को गहरी नींद में सोई देवकी के पास सुला देते हैं। तब योगमाया प्रकट होकर उनकी बेढ़ियां फिर जस की तस कर देती हैं और कहती हैं कि हमारी माया से तुम्हें ये सब याद नहीं रहेगा। फिर वसुदेवजी भी सो जाते हैं। उधर योगामया के प्रभाव से ही यशोदा और उनके पति नंदराय यह समझते हैं कि यशोदा के यहां पुत्र का जन्म हुआ है।

 

7. बाद में कंस को पता चलता है कि देवकी ने फिर एक बच्चे को जन्म दिया है तो वह कारागार में उसका वध करने के लिए पहुंच जाता है। कारागार में पहुंचकर वह देवकी से पूछता है क्या ये लड़की है? देवकी कहती हैं हां भैया। तब वह कहता है झूठ। इस बार लड़की कैसे हुई? आकाशवाणी झूठ नहीं हो सकती। उसने आठवें पुत्र की बात कही थी। फिर लड़की कैसे आ गई? अवश्य लड़का हुआ होगा। कहां छिपा दिया है तुमने? तब वसुदेव कहते हैं कि जब मेरी आंख खुली तो मैंने इसी बालिका को देखा। मैं सत्यवादी हूं कभी झूठ नहीं बोलता।ALSO READ: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर करें ये 10 अचूक उपाय, हर तरह के संकटों से मुक्ति पाएं

 

9. यह सुनकर कंस कहता है, हां तो ये भी विष्णु की एक चाल है जिससे मेरी मति भ्रमित हो जाए। चाहे वह कुछ भी कर ले लेकिन मुझे मेरे लक्ष्य से हटा नहीं सकता। चाहे किसी भी रूप में आ जाए वह मेरे हाथों नहीं बच सकता। यह कहकर कंस बालिका को देवकी के हाथ से छुड़ाता है। वह कन्या को एकांत में ले जाकर एक भूमि पर पटककर मारने ही वाला रहता है कि कन्या उसके हाथ से छुटकर आकाश में उड़ जाती और आकाश में योगमाया प्रकट होकर अट्टाहास करने लगती है। यह देखकर कंस भयभीत हो जाता है। फिर योगमाया कहती है, रे मूर्ख मुझे मारने से तुझे कुछ नहीं होगा। तुझे मारने वाला तो कोई ओर है और वो इस धरती पर जन्म भी ले चुका है। वही तेरा संहार करेगा। हे मंद बुद्धि दुष्ट तू व्यर्थ बिचारी देवकी को कष्ट न दें और निर्दोष, दीन एवं असहायों की हत्या करना छोड़ दें। यह कहकर योगमाया अदृश्य हो जाती है।

 

10. यह सुन और देखकर कंस घबराकर वहां से चला जाता है और फिर वह कृष्ण की तलाश करने के लिए सभी गांव के बच्चों का वध करने का आदेश दे देता है। चारों ओर हाहाकार मच जाता है। ALSO READ: कृष्‍ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं वही द्वापर युग वाले दुर्लभ योग जो बने थे 5251 वर्ष पहले