karva chauth ka chand kab niklega 2024: हिंदू माह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से रखती हैं। वर्ष 2024 में करवा चौथा का व्रत 20 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन इंदौर में कब निकलेगा चांद और क्या रहेगा पूजा और पारण का शुभ मुहूर्त? करवा चौथ पर चांद को अर्घ्य देते समय इन बातों का ध्यान रखें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आटे का दीपक जलाएं। उस दीपक को अपनी छलनी की ओट में रखें। करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दें। कलश में चांदी का सिक्का और चावल के दाने डालकर अर्घ्य दें।
इंदौर टाइम के अनुसार करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम को 05:57 से 07:12 बजे के बीच रहेगा।
इंदौर टाइम के अनुसार करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय- रात्रि 08 बजकर 15 मिनट पर चांद निकलेगा।
इंदौर टाइम के अनुसार करवा चौथ व्रत पारण समय- शाम 06:25 से रात्रि 08:15 बजे के बीच रहेगा।ALSO READ: करवा चौथ 2024 : आपके शहर में कब निकलेगा चांद, जानिए सही टाइम
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 20 अक्टूबर 2024 को प्रात: 06:46 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2024 को प्रात: 04:16 बजे तक।
करवा चौथा दिन की पूजा के शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:34 के बीच।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:06 से 02:53 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:57 से 06:22 के बीच।
निशिथ काल : मध्यरात्रि 11:46 से 12:36 के बीच।
करवा चौथ सरल पूजन विधि | karva chauth pooja saral vidhi
– करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व ही उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें।
– स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
– व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।
– प्रातः पूजा के समय इस मंत्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
या
ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
– शाम के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्री गणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें।
– मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें।
– इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
– भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें।
– एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
– सौभाग्यवती महिलाएं पूरे दिन का व्रत रखकर व्रत की कथा का श्रवण करें।
– चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य दें।
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चंद्रमा को अर्घ्य देते समय यह मंत्र अवश्य बोलें-
करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा।
ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे।
सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया।
सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।
– तत्पश्चात अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खाकर व्रत खोले।
– यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी किया जाता है।