Mahalakshmi vrat 2023 : दक्षिण भारत खासकर महाराष्ट्र में 22 सितंबर 2023 शुक्रवार के दिन से महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ हुआ था जिसका समापन 6 अक्टूबर शुक्रवार को हो रहा है। यानी करीब 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत को गज लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। आओ जानते हैं कि इस व्रत का पारण कैसे करते हैं।
पारण पूजा उद्यापन की सामग्री- mahalaxmi vrat paran Samagri:-
पारण का अर्थ है व्रत का समापत और व्रत को खोलना।
पारण के समय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है।
इस दिन माता लक्ष्मी के गज लक्ष्मी रूप की पूजा की जाती है।
महालक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करते हैं। यानी सोलह प्रकार की सामग्री से पूजा करते हैं।
इसमें 16 श्रृंगार, 16 चुनरी, 16 बिंदी.16 सिंदूर की डिब्बी, 16 रिबन, 16 कंधा, 16 शीशा, 16 मीटर वस्त्र या 16 रुमाल, 16 बिछिया, 16 नाक की नथ, 16 फल, 16 मिठाई, 16 मेवा, 16 लौंग, 16 इलाइची आदि लाकर पूजा करते हैं।
इसके अलावा पूजा की 16 सामग्री होती है। जैसे पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए। षोडशोपचार यानी विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना।
कैसे करते हैं महालक्ष्मी की पारण पूजा : MahaLaxmi Paran Puja Vidhi:
सोलह तार के डोरे में 16 गांठें लगा लें।
हल्दी की गांठ को घिसकर उससे डोरे को रंगें।
अब उस डोरे को हाथ की कलाई में बांध लें।
एक शुद्ध वस्त्र से एक मंडप बना लें जिसमें लक्ष्मीजी की तस्वीर या मूर्ति रख लें।
मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर 16 श्रृंगार का सामान से सजाएं।
अब माता की षोडशोपचार पूजा करें और आरती उतारें।
इसके बाद घर में हवन करें और जिसमें खीर की आहुति देना चाहिए।
व्रत रखने वाले 16 श्रृद्धालु ब्राह्मणों और ब्राह्मणियों को भोजन कराएं।
उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद खुद भी भोजन कर लें।
रात में तारागणों को पृथ्वी के प्रति अर्घ्य दें और मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें।
मंत्र : लक्ष्मी बीज मंत्र ‘ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः’, महालक्ष्मी मंत्र ‘ओम श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ओम श्रीं श्रीं महालक्ष्मीये नमः’ या लक्ष्मी गायत्री मंत्र ‘ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं’ का जाप कर सकते हैं।
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