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Mahavir jayanti 2024: भगवान महावीर स्वामी अपने पूर्वजन्म में क्या थे?

Previous Birth of Mahavir Swami: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि को वर्धमान का जन्म हुआ। यही वर्धमान आगे चलकर महावीर स्वामी बने। कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन 72 वर्ष की आयु में में पावापुरी में निर्वाण प्राप्त हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 21 अप्रैल को उनका जन्म उत्सव मनाया जाएगा।

 

महावीर स्वामी के पूर्वजन्म को भव कहा जाता है। उनके कुल 34 भव थे। उन्हें अपने इन सभी 34 भवों की याद थी। आओ जानते हैं कि वे अपने 34 पूर्वजन्मों में क्या या कहां थे।

 

महावीर के 34 भव (जन्म) है-

1.पुरुरवा भील, 2.पहले स्वर्ग में देव, 3.भरत पुत्र मरीच, 4.पांचवें स्वर्ग में देव, 5.जटिल ब्राह्मण, 6.पहले स्वर्ग में देव, 7.पुष्यमित्र ब्राह्मण, 8.पहले स्वर्ग में देव, 9.अग्निसम ब्राह्मण, 10.तीसरे स्वर्ग में देव, 11.अग्निमित्र ब्राह्मण, 12.चौथे स्वर्ग में देव, 13.भारद्वाज ब्राह्मण, 14.चौथे स्वर्ग में देव, 15. मनुष्य (नरकनिगोदआदि भव), 16.स्थावर ब्राह्मण, 17.चौथे स्वर्ग में देव, 18.विश्वनंदी, 19.दसवें स्वर्ग में देव, 20.त्रिपृष्‍ठ नारायण, 21.सातवें नरक में, 22.सिंह, 23.पहले नरक में, 24.सिंह, 25.पहले स्वर्ग में, 26.कनकोज्जबल विद्याधर, 27.सातवें स्वर्ग में, 28.हरिषेण राजा, 29.दसवें स्वर्ग में, 30.चक्रवर्ती प्रियमित्र, 31.बारहवें स्वर्ग में, 32.राजा नंद, 33.सोलहवें स्वर्ग में, 34.तीर्थंकर महावीर स्वामी।

 

तीर्थंकर महावीर स्वामी बनने के बाद उन्हें हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई। दीपावली के दिन 527 ईसापूर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या की ही रात थी। इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गणधर गौतम स्वामी को भी कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए दीप और रोशनी के त्योहार दिवाली को जैन धर्म में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

 

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