2025 Makar Sankranti: ज्योतिष शास्त्र में गोचर का बहुत महत्व होता है। नवग्रहों का गोचर जातक के फलित में अहम् भूमिका रखता है। वहीं ग्रह-गोचर के आधार पर कई मुहूर्तों व ज्योतिषीय गणनाओं का निर्धारण भी होता है जैसे त्रिबल शुद्धि, साढ़ेसाती व ढैय्या, मकर संक्रांति आदि। ज्योतिष शास्त्रानुसार नवग्रहों में सूर्य को राजा माना गया है। सूर्य का गोचर कई ज्योतिषीय गणनाओं व मुहूर्तों का निर्धारण करता है। सूर्य के गोचर को ‘संक्रांति’ कहा जाता है। संक्रांति प्रतिमाह आती है क्योंकि सूर्य का गोचर प्रतिमाह होता है। सूर्य के धनु व मीन राशि में गोचर से ‘खरमास (मलमास)’ का प्रारंभ होता है।ALSO READ: मकर संक्रांति इस बार कब है 14 या 15 जनवरी?
Highlights
- मकर संक्रांति के पीछे क्या कहानी है?
- जानिए कब और क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
- सूर्य का उत्तरायण पर्व कब है?
इसी प्रकार जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं तब इसे ‘मकर-संक्रांति’ कहा जाता है। ‘मकर-संक्रांति’ हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। सामान्यत: यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है, क्योंकि अधिकतर इसी दिन सूर्य का गोचर धनु राशि से मकर राशि में होता है। आंग्ल नववर्ष में ‘मकर-संक्रांति’ का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन नवग्रहों के राजा सूर्य अपनी राशि परिवर्तन कर प्रात: 8 बजकर 41 मिनट पर ‘मकर’ राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही देशभर में ‘मकर-संक्रांति’ के पर्व का शुभारंभ हो जाएगा।
‘मकर संक्रांति’ का पुण्यकाल-
वर्ष 2025 में ‘मकर संक्रांति’ का पुण्यकाल प्रात: 8:41 से रात्रि 11:47 तक रहेगा।ALSO READ: मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और उत्तरायण का त्योहार कब रहेगा?
‘संक्रांति’ का वाहन-
वर्ष 2025 में संक्रांति का वाहन व्याघ्र एवं उपवाहन अश्व (घोड़ा) रहेगा। इस वर्ष संक्रांति का आगमन पीत (पीला) वस्त्र व पर्ण कंचुकी धारण किए कौमार्यावस्था में कुमकुम लेपन कर, जातिपुष्प व कंकण आभूषण धारण किए, गदा आयुध (शस्त्र) लिए रजतपात्र में पायस भक्षण करते हुए दक्षिण दिशा की ओर को वायव्य कोण दृष्टिगत किए हुए हो रहा है।
‘संक्रांति’ का फलित-
देशभर सोना-चांदी, चावल, दूध व दलहन आदि के दाम बढ़ेंगे। राजा के प्रति विरोध की भावना बलवती होती। ब्राह्मण वर्ग एवं संन्यासियों व जनता को कष्ट होगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा। देश का कर्ज बढ़ेगा।
‘मकर संक्रांति’ का राशि अनुसार फलित-
1. मेष-कलह व मानसिक चिंता
2. वृषभ-लाभ
3. मिथुन-सुख-शांति
4. कर्क- धन लाभ एवं धन वृद्धि
5. सिंह- हानि
6. कन्या-लाभ
7. तुला-ईष्ट सिद्धि
8. वृश्चिक-धर्म लाभ
9. धनु-कष्ट
10. मकर-सम्मान में वृद्धि
11. कुम्भ-भय व चिंता
12. मीन- प्रतिष्ठा में वृद्धि
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स्नान व दान-
‘मकर संक्रांति’ के दिन श्रद्धालुगणों को पवित्र नदी में कूटे तिल का उबटन लगाकर स्नान करना एवं तिल से बनी वस्तुओं, कंबल एवं वस्त्रादि का दान करना श्रेयस्कर रहेगा।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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