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Sabarimala Ayyappa Temple in Kerala: केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में हर साल मंडला पूजा की जाती हैं, जो दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार माना जाता है। बहुत ही धूमधाम से मनाए जाने वाले इस त्योहार पर 41 दिनों तक पूजा चलती है तथा इस दौरान भगवान अयप्पा की पूजा की जाती हैं। बता दें वर्ष 2024 में इस व्रत की शुरुआत 16 नवंबर 2024 से हो चुकी है तथा 26 दिसंबर 2024, दिन गुरुवार को मंडल पूजा का आयोजन किया जाएगा।
यहां जानते हैं मंडल पूजा का महत्व और व्रत के बारे में…
Highlights
- मंडल पूजा क्या है?
- मंडल पूजन क्या है?
- पूजा करने से पहले क्या बोलना चाहिए?
भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए 41 दिन पहले से तैयारी करनी होती है और इस प्रक्रिया को मंडल व्रतम कहा जाता है। इस मंडला पूजा में सर्वप्रथम श्री गणेश का आह्वान किया जाता है तथा भगवान अयप्पा के भक्त उनके प्रिय आभूषण यानि मंडला महापूजा के दौरान तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहन कर चंदन का लेप लगाते है और भजन-कीर्तन करते हैं।
इस अवसर पर भगवान अयप्पा के दर्शन करना बहुत ही पुण्यकारी होने के कारण उनके हजारों भक्त मंदिर में दर्शन हेतु आते हैं। जानकारी के अनुसार सबरीमाला अयप्पा मंदिर मात्र तब ही ज्यादा दिनों तक अपने भक्तों के लिए खुला रखा जाता है, जब यहां दो प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘मंडला पूजा और मकर विलक्कू’ संपन्न होने होते हैं।
कब से शुरू होता है मंडला पूजन : बता दें कि जब सूर्य धनु राशि में होता है। तब मंडला पूजा ग्यारहवें या बारहवें दिन मनाई जाती है और भक्तों द्वारा भगवान अयप्पा की 41 दिनों की लंबी तपस्या का अंतिम दिन मंडला पूजा को समर्पित होता है।
बता दें कि इस व्रत की शुरुआत मंडला पूजा से 41 दिन पहले शुरू हो जाती है, जिसे मलयालम कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य वृश्चिक राशि में होता है, तब वृश्चिक मास के पहले दिन से ही यह व्रत शुरू हो जाता है। मान्यतानुसार मंडला पूजा 41 दिनों की लंबी अवधि में कठिन तथा पूर्ण रीति रिवाज के साथ पालन किया जाने वाला अनुष्ठान होता है, जो उनके भक्त मंडला पूजा के दौरान व्रत रखते हैं।
जानें क्यों करते हैं मंडला पूजा : धार्मिक मान्यता के अनुसार सबरीमाला मंदिर में आयोजित की जाने वाली मंडला पूजा बहुत ही प्रसिद्ध है। इस पूजा में दूर-दूर के क्षेत्र से उनके भक्त भगवान अयप्पा के मंदिर में आकर पूजा करते हैं। कई पुराणों में मंडल पूजा को लेकर यह उल्लेख मिलता है कि मंडल पूजा में 41 दिन का व्रत रखकर मंडल की पूजा करने वाले भक्तों का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है।
इस दौरान शरीर और मन दोनों शुद्ध रखना जरूरी होता है। तथा व्रतधारी को सरल और शुद्ध जीवनयापन करते हुए 41 दिनों त सांसारिक सुख, मोह तथा मांसाहार, शराबखोरी और धूम्रपान तथा अन्य सभी प्रकार की तामसिक गतिविधियों से दूर रहना होता है।
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