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Paush Amavasya 2024 : पौष सोमवती अमावस्या का महत्व, पितृदोष से मुक्ति का खास दिन

Somvati Amavasya 2024 Date: आज 30 दिसंबर 2024, दिन सोमवार को पौष मास की अंतिम तथा सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। पौष माह की अमावस्या तिथि पर सोमवार होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा गया है।

 

सोमवती अमावस्या का महत्व: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए बेहद शुभ बताया गया है। इस दिन भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने की परंपरा भी है। साथ ही यह दिन मौन व्रत का भी माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन मौन रहने से व्रतधारी सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व होने के कारण सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति के दीर्घायु रहने की कामना से भी इस व्रत को करने का विधान है। 

 

Highlights

  • सोमवती अमावस्या की के बारे में जानें।
  • पौष अमावस्या कब है? 
  • सोमवती अमावस्या के दिन किसकी पूजा करनी चाहिए?

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1. सनातन धर्म में पौष मास की यह अमावस्या बहुत फलदायी होती है। अत: इस तिथि पर घर के पूर्वजों के निमित्त पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। 

 

2. इस दिन तीर्थ स्नान तथा नदी स्नान के पश्चात तिल तर्पण करने से तथा जप-तप, दान-पुण्य आदि कार्य करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। 

 

3. इस दिन स्नान के बाद देवी-देवताओं का पूजन और सूर्य नारायण को तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, लाल चंदन डालकर अर्घ्य देना बहुत ही उत्तम माना गया है, इससे भी कुंडली के अशुभ दोषों के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। 

 

4. पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों तथा तट पर स्नान करके पूजन करने तथा गरीब तथा असहाय लोगों को गरम वस्त्र, तिल, कंबल, कपड़े, जूते, मिष्ठान, घी, आटा, शकर, दाल, फल, साग-भाजी आदि चीजों का दान करने से अमोघ फल मिलता है। साथ ही इससे पितरों को मोक्ष भी मिलता है। साथ ही जिन लोगों के कार्यों में बार-बार बाधा आती हैं, उन्हें तो सोमवती अमावस्या के दिन ये चीजें अवश्य ही दान करना चाहिए, जिससे की पितरों की कृपा उन पर हमेशा बनी रहे।

 

5. पौष या सोमवती अमावस्या पर किए गए उपाय, पीपल पूजन, यज्ञ-हवन, तुलसी की परिक्रमा, मंत्र जाप, आदि कार्य से पितृ सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन दिन गाय, कुत्ते, चींटियों तथा कौवों को भोजन खिलाने से भी पितृ तृप्त होते हैं।

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