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Rakhi 2024: इंद्र देव सहित इन भगवानों ने भी निभाया था राखी का रक्षा वचन

Rakhi 2024

Raksha Bandhan 2024: सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। इस बार 19 अगस्त 2024 सोमवार के दिन यह त्योहार मनाया जाएगा। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी यानी रक्षा सूत्र बांधती है जिससे भाई की रक्षा होती है और तब भाई भी बहन को रक्षा का वचन देता है। प्राचीन काल या पौराणिक काल में इस राखी के बंधन को भगवानों ने भी निभाया था आओ जानते हैं ऐसे ही किस्सें।ALSO READ: Essay On Raksha Bandhan | रक्षाबंधन पर हिन्दी निबंध

 

1. सबसे पहले भगवान इंद्र अपना राज्य असुर वृत्रा के हाथों गंवाने के बाद उसके विरुद्ध जब युद्ध के लिए जाने लगे तो भगवान बृहस्पति के अनुरोध पर इंद्र देव की पत्नी सचि ने उन्हें रक्षासूत्र बांधकर संग्राम में विजय होने के साथ-साथ उनकी रक्षा की प्रार्थना की थी। इंद्र ने इस बंधन की लाज रखी और वृत्तासुर को हराकार घर लौटे।

 

2. येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधती हूं, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न होना।”

 

दरअसल, भगवान वामन ने महाराज बलि को वचन के सूत्र में बांधकर उससे तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बलि ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया था। भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बलि के यहां रहने लगे। उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।ALSO READ: Raksha Rakhi Bandhan Muhurat: रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?

 

3. एक और वृत्तांत के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने राखी बांध कर उन्हें अजरता और अमरता के वरदान से संपूर्ण किया था।

 

4. शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी तो कहते हैं कि द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दी थी। यह द्रोपदी का बंधन था। इसके बाद जब द्रौपदी का जब चीरहरण हो रहा था तब श्रीकृष्‍ण ने इस बंधन का फर्ज निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई थी।

 

5. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।ALSO READ: Raksha bandhan 2024: रक्षाबंधन के 7 अचूक उपाय यदि आजमा लिए तो किस्मत पलट जाएगी