History of raksha bandhan: पुरु का नाम यूनानी इतिहासकारों ने ‘पोरस’ लिखा है। इतिहास को निष्पक्ष लिखने वाले प्लूटार्क ने लिखा- ‘सिकंदर सम्राट पुरु की 20,000 की सेना के सामने तो ठहर नहीं पाया। आगे विश्व की महानतम राजधानी मगध के महान सम्राट धनानंद की 3,50,000 की सेना उसका स्वागत करने के लिए तैयार थी जिसमें 80,000 घुड़सवार, 80,000 युद्धक रथ एवं 70,000 विध्वंसक हाथी सेना थी। उसके क्रूर सैनिक दुश्मन के सैनिकों को मुर्गी-तीतर जैसा काट देते हैं।ALSO READ: Raksha Bandhan Rakhi 2024: रक्षाबंधन पर भद्रा और पंचक दोनों का साया, बस यही समय बचा राखी बांधने का
यूनानी इतिहासकारों ने लिखा कि सिकंदर ने पोरस को हरा दिया था। यदि सचमुच ऐसा होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच जाता और तब भारत का इतिहास कुछ और होता। लेकिन इतिहास लिखने वाले यूनानियों ने सिकंदर की हार को पोरस की हार में बदल दिया। यूनानी इतिहासकारों के झूठ को पकड़ने के लिए ईरानी और चीनी विवरण और भारतीय इतिहास के विवरणों को भी पढ़ा जाना चाहिए। यूनानी इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में झूठ लिखा था, ऐसा करके उन्होंने अपने महान योद्धा और देश के सम्मान को बचा लिया और दुनियाभर में सिकंदर को महान बना दिया। हालांकि आप जानना चाहेंगे कि आखिर युद्ध कैसे, कब, कहां और क्यों हुआ था। यह भी कि युद्ध में कौन, कैसे जीता था?
इथोपियाई महाकाव्यों का संपादन करने वाले ईएडब्ल्यू बैज लिखते हैं कि ‘झेलम के युद्ध में सिकंदर की अश्व सेना का अधिकांश भाग मारा गया। सिकंदर ने अनुभव किया कि यदि मैं लड़ाई को आगे जारी रखूंगा तो पूर्ण रूप से अपना नाश कर लूंगा। अतः उसने युद्ध बंद करने की पुरु से प्रार्थना की। भारतीय परंपरा के अनुसार पुरु ने शत्रु का वध नहीं किया। इसके पश्चात संधि पर हस्ताक्षर हुए और सिकंदर ने पुरु को अन्य प्रदेश जीतने में सहायता की।’ALSO READ: Rakhi 2024 : 90 वर्षों के बाद रक्षाबंधन पर बनेंगे 5 शुभ योग, लेकिन भद्रा का भी है साया, जानें राखी बांधने का सही समय
प्लुटार्क लिखते हैं कि ‘इस युद्ध में यूनानी आठ घंटे तक लड़ते रहे पर किस्मत ने इस बार उनका साथ नहीं दिया।”….संभव है कि वैज्ञानिकों ने 2000 वर्ष पुरानी पहेली सुलझा ली है जिससे मकदूनिया के नेता क्रूर सिकंदर की 32 वर्ष की आयु में रहस्यमय मौत हुई थी। ओटैगो यूनिवर्सिटी के नेशनल प्वॉइजन सेंटर के डॉक्टर लियो शेप का मानना है कि हो सकता है कि गैरहानिकर दिखने वाले एक पौधे से बनी जहरीली शराब से सिकंदर की मौत हुई हो जिसने 323 ईसापूर्व में अपनी मौत से पहले एक बहुत बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया था।
कहते हैं कि पोरस ने सिकंदर को बंधक बना लिया था। तब पोरस ने पूछा था कि तुम्हारे साथ क्या व्यवहार किया जाए। इस पर सिकंदर ने कहा था कि ‘एक राजा जिस तरह दूसरे राजा के साथ करता है।’ बाद में सिकंदर की पत्नी ने पोरस को राखी बांधी थी। इसी वजह से एक युद्ध में पोरस ने सिकंदर को जान से नहीं मारा।
सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरू को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दे दिया।ALSO READ: राखी पर इस तरह से करें मेकअप, चेहरे पर आएगा नेचुरल ग्लो और दिखेंगी सबसे खूबसूरत
सिकंदर व पोरस ने युद्ध से पूर्व रक्षा-सूत्र की अदला-बदली की थी। युद्ध के दौरान पोरस ने जब सिकंदर पर घातक प्रहार हेतु अपना हाथ उठाया तो रक्षा-सूत्र को देखकर उसके हाथ रुक गए और वह बंदी बना लिया गया। सिकंदर ने भी पोरस के रक्षा-सूत्र की लाज रखते हुए और एक योद्धा की तरह व्यवहार करते हुए उसका राज्य वापस लौटा दिया।