सावन का पहला सोमवार 2020: व्यक्ति को अपने अचार और विचार दोनों सुद्ध रखने चाहिए सोमवार के दिन में व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। व्रत वाले दिन शिव भगवान के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध चढ़ाएं। उसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें।
६ जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है जिसे भगवान शंकर का महीना कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस माह का काफी महत्व होता है क्योंकि इस दिनों भगवान शिव की अराधना की जाती है। उन्हें प्रसन्न करने और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्रत इत्यादि रखे जाते हैं। वैसे तो सोमवार के व्रत का अपना अलग महत्व होता है। मान्यता है कि 16 सोमवार के व्रत करने से मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है। लेकिन अगर बात सावन के सोमवार की हो तो इस व्रत का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यहां आप जानेंगे सावन सोमवार व्रत को रखने की संपूर्ण जानकारी.
कैसे रखें व्रत- नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। अगर संभव हो तो व्रत वाले दिन शिव भगवान के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध चढ़ाएं। उसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें। दिन में सुबह और शाम भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। इस दिन पूजा करते समय व्रत कथा जरूर सुनें क्योंकि इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। शाम को पूजा के बाद व्रत खोल लें। शास्त्रों के अनुसार सावन सोमवार व्रत में तीन पहर तक उपवास रखकर उसके बाद व्रत खोलना चाहिए। यानी कि एक समय भोजन करना चाहिए।
सावन व्रत पूजा विधि: सावन के सोमवार के दिन सूर्योदय से पहले तीसरे पहर में उठकर घर की सफाई और स्नान करना चाहिए। उसके बाद पूरे घर को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर दें। घर के मंदिर में भगवान शंकर और मां पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें और अगर पहले से मौजूद है तो उसे साफ कर के रखें। उसके बाद पूजा का आरंभ भगवान श्री गणेश की अराधना से करना चाहिए। फिर भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में दूध, दही, जल, शहद, घी, चीनी, मोली, पंचामृ्त, वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, रोली, बेल-पत्र, चावल, आक-धतूरा, फूल, भांग, पान-सुपारी, इलायची, कमल गठ्टा, प्रसाद, लौंग, मेवा के साथ दक्षिणा चढ़ाई जाती है। इतना करने के बाद ‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। सोमवार व्रत कथा सुनें। व्रत कथा सुनने के बाद भगवान शंकर की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।