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Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की नवमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त

Devi Siddhidatri

Navratri 2024 navami date october 2024: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा क्योंकि तृतीया तिथि 2 दिनों तक रहेगी। यानी 5 और 6 अक्टूबर को तृतीया तिथि रहेगी। दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर की रहेगी और 12 अक्टूबर को नवमी रहेगी। इसी दिन दशहरा और विजयादशमी का महापर्व भी मनाया जाएगा। हालांकि कुछ पंचांग के अनुसार नवमी 11 अक्टूबर को रहेगी जिसका पारण 12 अक्टूबर को होगा।

 

नवमी तिथि प्रारम्भ- 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:06 बजे

नवमी तिथि समाप्त- 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे।

उदयातिथि के अनुसार 12 अक्टूबर को रहेगी नवमी। कुछ लोग 11 को भी मनाएंगे।

नवमी तिथि: 12 अक्टूबर को नवरात्रि की नवमी तिथि रहेगी। दिन शनिवार। सिद्धिदात्री पूजा। दशहरा भी।

 

शारदीय नवरात्रि की 11 अक्टूबर 2024 पूजा के शुभ मुहूर्त: 

संधि पूजा: दोपहर 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन।

सुबह की पूजा: प्रात: 04:41 से 06:20 के बीच। 

दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:31 के बीच।

शाम की पूजा: शाम 05:55 से 07:10 के बीच।

रात्रि की पूजा: अमृत काल में 11:05 से 12:40 के बीच। 

 

शारदीय नवरात्रि की 12 अक्टूबर 2024 की पूजा के शुभ मुहूर्त: 

सुबह की पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच। 

दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।

शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।

रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच। 

 

माता सिद्धिदात्री देवी : माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में नौवें दिन नवमी की देवी है माता सिद्धिदात्री। नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। 

 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

देवी का स्वरूप : मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। इन्हें कमलारानी भी कहते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।