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अपरा एकादशी का क्या महत्व है?

Apra achala ajala ekadashi : अपरा एकादशी को अचला और अजला एकादशी भी कहते हैं। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि के दिन अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 2023 में 15 मई को यह व्रत रखा जाएगा। आओ जानते हैं इस एकादशी पर व्रत रखने का महत्व।

 

प्रत्येक एकादशी महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी का अलग-अलग फल मिलता है, परंतु देव उठनी और देवशयनी एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बाद षटतिला एकादशी, विजया एकादशी, कामदा एकादशी, मोहिनी एकादशी और निर्जला एकादशी को महत्वपूर्ण माना जाता है।

अपरा एकादशी का क्या है महत्व और क्यों है ये महत्वपूर्ण : What is the importance of Apara Ekadashi?

 

एकादशी का व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है।

इस एकादशी का विधिवत व्रत रखने से मनुष्य संसार में प्रसिद्ध हो जाता है।

अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार पुण्य और खुशियों की प्राप्ति होती है। 

निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करने से हर प्रकार की मनोरथ सिद्धि होती है।

अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

इस दिन भगवान त्रिविक्रम यानि भगवान विष्णु की तुलसी, चंदन, कपूर व गंगाजल से पूजा करनी चाहिए।

अपरा एकादशी व्रत रखने से मनुष्य ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे समस्त पापों से मुक्ति पाता है।

 

पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो फल गंगा नदी के तट पर पितरों को पिंडदान करने, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या फिर बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से मिलता होता है, वही फल अपरा एकादशी का व्रत करने से भी प्राप्त होता है।