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करवा चौथ पर 10 लाइन निबंध हिंदी में | Karva chauth par nibandh 2024

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Essays on Karwa Chauth : 1. हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत बहुत महत्व का माना गया है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ के रूप में मनाया जाता है। सुहागिनें इस दिन पति की लंबी उम्र और जीवन में मंगल कामना हेतु यह व्रत रखती हैं। यह त्योहार उत्साह, उल्हास तथा खुशियों का प्रतीक हैं, जिससे पति-पत्नी के बीच प्रेमभाव को बढ़ाता है तथा पति भी पत्नी को उपहार देकर उसको खुशियां प्रदान करते हैं। 

 

2. करवा चौथ का पर्व रिश्तों को मजबूत बनाने वाला होता है, और इसी कारण यह पर्व पति-पत्नी दोनों के लिए खास महत्व रखता है। यही कारण है कि करवा चौथ वाले दिन पत्नी द्वारा अपने पति की लंबी आयु और उसकी सुख-समृद्धि के लिए की गई पूजा-अर्चना पति की जिंदगी में पत्नी की अहमियत को ओर भी ज्यादा बढ़ा देती है। 

 

3. करवा चौथ का पर्व खासकर उत्तर भारत में ज्यादा प्रचलित है। उत्तर भारत के हर प्रांत में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता गौरी ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था तथा उन्होंने इस पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर चांद को अर्घ्य दिया था और तब से ही करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है। अत: अखंड सौभाग्य की प्राप्ति देने वाला यह व्रत सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

 

4. पंजाब, हरियाणा में विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर सरगी खाती हैं। इसे खाने के बाद सुहागिन महिलां दिनभर के लिए भूखी रहती हैं। दोपहर के वक्त महिलाएं चौथ व्रत से संबंधित कथा सुनती हैं। इसके पश्चात रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है, जिसमें पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। 

 

5. पूजा की सामग्री में सिन्दूर, कंघी, शीशा, चूड़ी, मेहंदी आदि दान में दिया जाता है। करवा चौथ के चलते बाजारों में महिलाओं की खासी भीड़ दिखाई पड़ती है। महिलाएं नए कपड़ों को खरीदने साथ ही डिजाइनर करवे भी खरीदती हैं। 

 

6. करवा का अर्थ मिट्टी का बर्तन और चौथ का अर्थ चतुर्थी तिथि होता है। करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां करवे का खास विधि-विधान से पूजन करती हैं। इस व्रत पर शादीशुदा महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं। 

 

7. इस दिन व्रतधारी महिलाएं चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं। व्रत तोड़ने के पूर्व महिलाएं दुल्हन की तरह सजती-धजती हैं, फिर एक गोल करवा या आटा छन्नी में पति का चेहरा और चंद्र का दर्शन एवं पूजन करने के बाद ही व्रत तोड़ती हैं। 

 

8. इस व्रत में आकाश में चांद दिखने पर महिलाएं छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा देखती हैं, इसके पश्चात पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत की पूर्ण विधि को समाप्त करता है। 

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9. इस पर्व पर पति भी पत्नी को उपहार देकर उनकी खुशियों को बढ़ा देते हैं। पति-पत्नी के प्रेम का यह पावन पर्व उनके रिश्ते में आत्मीयता को बढ़ाता है। सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का यह व्रत यानि करवा चौथ सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। 

 

10. इस दिन में चंद्रमा, भगवान शिव, पार्वती और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस व्रत का आरंभ सरगी से होता है तथा चंद्रमा के पूजन पर इस व्रत की समाप्ति होती है। यह व्रत कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं, वे अच्छा पति मिलने की कामना से यह व्रत करती हैं।

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