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गुड़ी पड़वा पर गुड़ी क्यों और कैसे बनाते हैं? जानिए कारण और सही तरीका

Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, कर्नाटक युगादि, आंध्रा और तेलंगाना में उगादी, कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा, सिंध में चेती चंड, गोवा और केरल में संवत्सर पड़वो नाम से इसे जाना जाता है। इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर भी कहते हैं। इस बार विक्रम संवत का 2080 वर्ष प्रारंभ होगा। फाल्गुन मास समाप्त होने के बाद चैत्र माह इस नववर्ष का पहला माह रहता है।

 

गुड़ी की सामग्री : एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, पीले रंग का कपड़ा, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के पांच पत्ते, आम के पांच पत्ते, रंगोली, प्रसाद और पूजा सामग्री।

 

कैसे बनाते हैं गुड़ी : इस दिन घर के द्वार को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। प्रवेश द्वार को आम के पत्तों का तोरण बनाकर लगाया जाता है और सुंदर फूलों से द्वार को सजाया जाता है। इसके साथ ही रंगोली बनाई जाती है। गुड़ी पड़वा के अनुष्ठान सूर्योदय से पहले आरंभ हो जाता है लोग प्रातः जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं।

1. गुड़ी के लिए लकड़ी का एक दंड लें।

 

2. दंड को साफ धो लें और उसके उपर रेशमी कपड़ा या साड़ी बांधें।

 

3. एक नीम की टहली, आम के पांच पत्ते, एक फूलों की माला, एक शक्कर की माला को लगाएं और उसके उपर से तांबा पितल या चांदी का लोटा या गिलास रखें।

 

4. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो उस स्थान को साफ और स्वच्छ कर लेना चाहिए। 

 

5. गुड़ी रखने वाले स्थान पर पहले रंगोली बनाई जाती है, वहां एक पाट रखा जाता है और उसके ऊपय वह दंड रखा जाता है।

 

6. तैयार गुड़ी को घर के दरवाजे पर, ऊंची छत पर या गैलरी में यानि किसी ऊँचे स्थान पर लगाई जाती है।

 

7. गुड़ी को अच्छी तरह से बांधकर और उस पर सुगंध, फूल और अगरबत्ती लगाकर गुड़ी की पूजा करनी चाहिए।

 

8. अगरबत्ती लगाने के बाद दीपक से गुड़ी की पूजा करते हैं। 

 

9. फिर दूध-चीनी, पेड़े का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।

 

10. दोपहर के समय गुड़ी को मीठा प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस दिन परंपरा के अनुसार श्रीखंड-पुरी या पूरनपोली का भोग लगाया जाता है।

 

11. शाम को सूर्यास्त के समय हल्दी-कुमकुम, फूल, अक्षत आदि अर्पित करके गुड़ी को उतारा जाता है।

 

12. इस दिन सभी हिन्दू एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं।