Rangoli History: दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रकाश और अंधकार के बीच की जीत का प्रतीक है, और इस अवसर पर घरों को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। दिवाली पर रंगोली बनाना इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। रंगोली न सिर्फ सजावट का एक हिस्सा है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस लेख में हम जानेंगे कि दिवाली पर रंगोली क्यों बनाई जाती है और इससे जुड़ी कहानी क्या है।
रंगोली का महत्व और धार्मिक मान्यता
रंगोली, जिसे विभिन्न रंगों के चूर्ण से जमीन पर डिजाइन के रूप में सजाया जाता है, का धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि रंगोली लक्ष्मी जी का स्वागत करने के लिए बनाई जाती है, जो दिवाली के दिन घर में प्रवेश करती हैं। रंगोली से घर के दरवाजे और आंगन को सजाया जाता है ताकि माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक भी माना जाता है और शुभता का संकेत होता है।
रंगोली की कहानी
लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम के लंका विजय के बाद, जब वे माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास काट कर अयोध्या लौटे तब अयोध्या वासियों ने भगवान राम के स्वागत में पूरे अयोध्या में साफ-सफाई करके हर घर के आंगन में और अयोध्या के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई थी। सभी जगह डीप जलाकर सुसज्जित किया था, मान्यताओं के अनुसार तब से ही प्रत्येक वर्ष दीपावली पर घरों में रंगोली बनाने की परंपरा शुरू हुई।
रंगोली के डिज़ाइन और प्रकार
रंगोली के विभिन्न डिज़ाइनों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। कुछ प्रमुख रंगोली डिज़ाइन निम्नलिखित हैं:
फूलों की रंगोली: प्राकृतिक सुंदरता और जीवन का प्रतीक।
ज्योति रंगोली: दीपों और प्रकाश का प्रतिनिधित्व।
स्वास्तिक और ओम: शुभता और समृद्धि के प्रतीक।
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दिवाली पर रंगोली क्यों बनाते हैं?
रंगोली दिवाली के दिन सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि जो लोग अपने घरों में सुंदर रंगोली सजाते हैं, उनके घरों में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सुख-शांति बनी रहती है। दिवाली पर रंगोली बनाना न केवल धार्मिक कार्य है बल्कि यह सौंदर्य और आस्था का भी प्रतीक है।
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