Teeno lok hank te kape : हनुमानजी सर्वशक्तिमान हैं। आठ सिद्धियों और नव निधियों के वे दाता हैं। पुराणों के अनुसार कलयुग में श्री राम और हनुमानजी की भक्ति ही फलदायी कही गई है। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम है। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं और अंतत: वे अपना जीवन नष्ट ही कर लेते हैं…क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते।
सभी का घमंड किया दूर : श्रीराम भक्त हनुमान ने हर युग में सभी का घमंड दूर कर दिया था। उन्होंने सूर्यदेव को निगल लिया था। उन्होंने ही राहु, केतु और इंद्र का मान मर्दन किया था। रामायण काल में उन्होंने रावण और अहिरावण सहित सभी अनुरों का दंभ तोड़ दिया था। महाभारत काल में भीम, अर्जुन, वानरद्वीत, पौंड्रक, नागराज वासुकि आदि कई महान योद्धाओं का घमंड दूर कर दिया था। यहां तक कि उन्होंने बलरामजी जी और भगवान गरूढ़ का भी दंभ दूर कर दिया था।
सभी देवताओं में श्रेष्ठ : हनुमानजी 4 कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला यह कि वे रीयल सुपरमैन हैं, दूसरा यह कि वे पॉवरफुल होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं, तीसरा यह कि वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा यह कि वे आज भी सशरीर हैं। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमानजी।
पंचमुखी हनुमान : रामायण के मुताबिक हनुमान जी के प्रत्येक मुख में त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंख और दो भुजाएं हैं. यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है। उनमें जहां रुद्र की शक्ति है वहीं नृसिंह भगवान, वराह भगवान और गरुड़ भगवान की शक्ति भी है। वे वानर और अश्व शक्ति से संपन्न हैं।
तीनों लोक में सभी कांपते हैं : हनुमानजी रुद्र के अवतार हैं। हनुमानजी के नाम मात्र से ही स्वर्ग के देवी, देवता, गंधर्व, यक्ष, असुर, राक्षस आदि उनके भय से कांपते हैं तो फिर धरती के भूत प्रेत, पिशाच और मानव की क्या बिसात। पाताल लोक के नाग और नागराज भी उन्हें मानते हैं। उन्होंने पाताल लोक के अहिरावण का वध कर दिया था और नागराज वासुकि को अपनी शक्ति का परिचय करा दिया था।
हनुमान जी पवन की गति से भी तेज चलते हैं। वे मन की गति को भी पार करने की क्षमता रखते हैं तो फिर गुरुढ़ की गति क्या। तीनों की ही गति उनके समक्ष कुछ भी नहीं। जिसने पूरी धरती का एक कोना और दूसरा कोना एक कर दिया हो उसका धरती लोक पर अधिकार है। पाताल जाकर श्रीराम और लक्ष्मण ले आए तो फिर पाताल लोक पर भी उनका अधिकार है।… आकाश पर स्वर्ग पर कैसे अधिकार… सूर्य को निगलने के बाद…
।।रावन जुद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारोI श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारोII आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारोI को नहिं जानत है जगमें कपि, संकटमोचन नाम तिहारोII ६ II
भावार्थ:- रावणने घोर युद्ध करते हुए सारी सेनाको नागपाश में बांध दिया थाI इस महान संकट के प्रभाव से प्रभु श्रीरामचंद्रजी समेत सारी सेना मोहित हो गयी थीI किसी को इससे मुक्ति का कोई उपाय न सूझ रहा थाI हे हनुमानजी! तब आपने ही (आकाश में स्वर्ग जाकर) गरुड़ को बुलाकर यह बन्धन कटवाया और सबको घोर त्राससे मुक्त किया।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।- हनुमान चालीसा (15)
अर्थ : यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि, विद्वान, पंडित, या कोई भी आपके यश को पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते। सभी नौ ग्रह उनके अधिन है।