Masik Durgashtami :आज मार्गशीर्ष महीने का मासिक दुर्गाष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। यह साल 2023 की अंतिम मासिक दुर्गाष्टमी व्रत हैं, जो 20 दिसंबर, बुधवार को रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार हर माह आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी व्रत मनाया जाता है। इस दिन को मास दुर्गाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
महत्व : पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रतिमाह आने वाली शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी व्रत मनाया जाता है। मासिक शुक्ल अष्टमी का दिन दुर्गा जी को समर्पित माना गया है। अत: इस दिन व्रत रखकर मां दुर्गा का विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व कहा गया है। यह व्रत जीवन की समस्त परेशानियां दूर करता है। पूरी श्रद्धा के साथ इस दिन माता दुर्गा देवी की पूजा-आराधना करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं और घर में धन, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य आता है।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करके पवित्रता के साथ देवी दुर्गा का पूजन किया जाता है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए छोटी कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन करवाने के पश्चात उनके पैरों को धोना और दक्षिणा और उपहार देने से माता दुर्गा प्रसन्न होकर आप पर अपना आशीष बरसाती है। इस दिन देवी के मंत्र, दुर्गा चालीसा का पाठ करना लाभदायक माना गया है। इस दिन सास-ससुर, माता-पिता, ननद, बेटी एवं गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए। तथा भोग-विलास की चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इस दिन खास कर गुस्सा, क्रोध झूठ नहीं बोलना चाहिए।
पूजन का शुभ समय-
मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी का प्रारंभ- 19 दिसंबर को 04:36 ए एम से शुरू होकर 20 दिसंबर 2023 को 02:44 ए एम पर अष्टमी तिथि का समापन होगा।
अभिजित मुहूर्त- 11:01 ए एम से 11:51 ए एम तक।
अमृत काल- 07:59 ए एम से 09:29 ए एम तक।
सरल विधि :
– मार्गशीर्ष मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें।
– अब पूरे घर की और मंदिर की साफ-सफाई करें।
– पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
– पूजन से पहले घर में स्थित मंदिर को तोरण, मांगलिक पत्र एवं पुष्पों से सजाएं।
– एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
– मां दुर्गा को लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प अर्पित करें।
– इस दिन गंगाजल छिड़के तथा पवित्रता के साथ देवी दुर्गा का पूजन करें।
– धूप, अगरबत्ती एवं दीप जलाकर माता की आरती उतारें।
– मिठाई व फलों का प्रसाद चढ़ाएं।
– दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
– प्रसाद वितरित करें।
– दिन भर उपवास रखकर दुर्गा मंत्रों का जाप करें।
– इस दिन संयम तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें।
– हिन्दू धर्म में अष्टमी तिथि का अधिक महत्व होने के कारण छोटी कन्याओं को भोजन करवा कर भेंट या दक्षिणा दें।
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