lalita panchami: अभी नवरात्रि का पर्व जारी है और प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के आश्विन शुक्ल पंचमी को ललिता पंचमी पर्व या उपांग ललिता व्रत मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारतभर में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गुजरात व महाराष्ट्र में किया जाता है। माता ललिता को ‘त्रिपुर सुंदरी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष ललिता पंचमी का व्रत 19 अक्टूबर 2023, गुरुवार को रखा जाएगा। आज के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने का महत्व है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ललिता देवी माता सती पार्वती का ही एक रूप हैं। इसे जनमानस में ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से जाना जाता है। कालिका पुराण के अनुसार देवी ललिता की दो भुजाएं हैं। यह माता गौर वर्ण होकर रक्तिम कमल पर विराजित हैं। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को ‘चंडी’ का स्थान प्राप्त है। ललिता माता के पूजन पद्धति देवी चंडी के समान ही है। मां ललिता को त्रिपुरा सुंदरी और षोडशी के रूप में भी जाना जाता है। ये मां की दस महाविद्याओं में से एक हैं।
क्यों रखते हैं ललिता पंचमी व्रत : पुराणों के अनुसार जब माता सती अपने पिता दक्ष द्वारा अपमान किए जाने पर यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्याग देती हैं, तब भगवान शिव उनके शरीर को उठाए घूमने लगते हैं, ऐसे में पूरी धरती पर हाहाकार मच जाता है। जब विष्णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह को विभाजित करते हैं, तब भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ‘ललिता’ के नाम से पुकारा जाने लगा।
नवरात्रि में दुर्गा देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है तथा नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता के पूजन के साथ-साथ ललिता पंचमी व्रत तथा शिव जी की पूजा भी की जाती है। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि मां ललिता 10 महाविद्याओं में से ही एक हैं, अत: पंचमी के दिन यह व्रत रखने से भक्त के सभी कष्ट दूर होकर उन्हें मां ललिता का विशेष आशीर्वाद मिलता है। देवी ललिता का ध्यान रूप बहुत ही उज्ज्वल व प्रकाशवान है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता ललिता कामदेव के शरीर की राख से उत्पन्न हुए ‘भांडा’ नामक राक्षस को मारने के लिए प्रकट हुई थीं। इस दिन देवी मंदिरों पर भक्तों का तांता लगता है। यह व्रत समस्त सुखों को प्रदान करने वाला होता है, अत: इस दिन मां ललिता की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ विशेष तौर पर किया किया जाता है। आश्विन शुक्ल पंचमी के दिन मां ललिता का पूजन करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है।
पूजा की सामग्री- 1 तांबे का लोटा, 1 नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, फल, मेवा, मौली, आसन आदि।
ललिता पंचमी पूजा विधि-
– प्रातःकाल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– पूजन के समय सबसे पहले शालिग्राम जी के विग्रह, कार्तिकेय जी, माता गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों समेत सभी पूजन सामग्री को एक जगह एकत्रित करके फिर पूजन करें।
– घर के ईशान कोण में, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके माता ललिता का पूजन करें।
– मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।’
– आश्विन शुक्ल पंचमी के दिन इस ध्यान मंत्र से मां को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र आदि भेंट कर इस मंत्र का अधिकाधिक जाप करने से जीवन की आर्थिक समस्याएं दूर होती है तथा जीवन में निरंतर धन आगमन होकर सुखमय जीवन व्यतीत होता है।
19 अक्टूबर 2023, गुरुवार : ललिता पचंमी पर पूजन के शुभ मुहूर्त 2023 :
ललिता पंचमी व्रत : गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023 को
आश्विन शुक्ल पंचमी तिथि का प्रारंभ- 18 अक्टूबर 2023, बुधवार को 04:42 पी एम से
पंचमी तिथि की समाप्ति- 19 अक्टूबर 2023, गुरुवार को 04:01 पी एम पर।
दिन का चौघड़िया
शुभ- 05.04 ए एम से 06.36 ए एम
चर- 09.42 ए एम से 11.14 ए एम
लाभ- 11.14 ए एम से 12.47 पी एम
अमृत- 12.47 पी एम से 02.19 पी एम
शुभ- 03.52 पी एम से 05.24 पी एमवार वेला
रात्रि का चौघड़िया
अमृत- 05.24 पी एम से 06.52 पी एम
चर- 06.52 पी एम से 08.19 पी एम
लाभ- 11.14 पी एम से 20 अक्टूबर 12.41 ए एम,
शुभ- 02.09 ए एम से 20 अक्टूबर 03.36 ए एम
अमृत- 03.36 ए एम से 20 अक्टूबर 05.04 ए एम तक।
आश्विन शुक्ल पंचमी तिथि- 04.01 पी एम तक।
शोभन योग- 08.39 पी एम तक।
रवि योग- 12.34 पी एम से 20 अक्टूबर को 05.04 ए एम
ब्रह्म मुहूर्त-03.31 ए एम से 04.17 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 03.54 ए एम से 05.04 ए एम
अभिजित मुहूर्त-10.49 ए एम से 11.39 ए एम
विजय मुहूर्त-01.17 पी एम से 02.07 पी एम
गोधूलि मुहूर्त-05.24 पी एम से 05.47 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.34 पी एम
निशिता मुहूर्त-10.51 पी एम से 11.37 पी एम
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